Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal

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Page 16
________________ २ सास्वादन गुणस्थाने-१११ प्रकृतिनो उदय होय. सूक्ष्य १, अपर्याप्त १, साधारण १, आतपे १, मिथ्यात्व १, ए पांच विना तथा नरकानुपूर्वानो अनुदय होवाथी कुल छ प्रकृति जतां बाकी १११. ३ मिश्र गुगस्थाने-उपरनी १११ माथी अनंतानुबंधी ४, स्थावर १, एकेन्द्रिय १, तथा विकलेंद्रिय ३, ए नव प्रकृतिनो अंत होय, तथा त्रण आनुपूर्वीनो अनुदय होय, तेथी कुल बार प्रकृति जतां ९९ प्रकृतिनो उदय रहे, अने मिश्र मोहनी भळवाथी ....१०० प्रकृतिनो उदय होय.. ४ अविरति गुणस्थाने--१०४ प्रकृतिनो उदय होय. कारण के उपरनी १०० प्रकृतिमां समकित मोहनी १, तथा आनुपूर्वी ४, ए पांच प्रकृतिनो उदय होवाथी अने मिश्रमोहनीना उदयनो विच्छेद थवाथी बाकीनी चार प्रकृति मेळघतां १०४ थायः ५ देशविरति गुणस्थाने-८७ प्रकृनिनो उदय होय. अप्रत्याख्यानी ४, मनुष्यानुपूर्वी १, तिथंगानुपुर्वी १, वैक्रियाष्ठक ८, दुर्भाग्य १, अनादेय १, अयश १, ए १७ प्रकृति विना. ६ प्रमत्त गुणस्थाने--८१ नो उदय होय. तिर्यग्गति १, तिर्यगायु १, नीचगोत्र १, उद्योत १, - प्रत्याख्यानी ४, ए आठ विना तथा आहारक द्विक भळे तेथी. ७ अप्रमत्त गुणस्थाने-७६ प्रकृतिनो उदय होय. स्त्यानर्द्धि त्रिक ३, आहारकद्विक २, ए पांच प्रकृति विना. ८ निवृत्ति गुणस्थाने-७२प्रकृतिनो उदय.समकित मोहनी १,छेल्लां संघयण ३,ए चार विना ९ अनिवृत्ति गुणस्थाने-६६ नो उदय. हास्यादिक ६ विना. १० सूक्ष्मसंपराय गुणस्थाने–६० नो उदय. वेद ३, संज्वलन क्रोध १, मान १, माया १, ए छ विना. ११ उपशांतमोह गुणस्थाने--५९ नो उदय. संज्वलन लोभ विना. १२ क्षीणमोह गुणस्थाने-पहेले भागे ऋषभ नाराच १, नाराच १, ए वे विना ५७, तेमांथी निद्राद्विक २ विना छेल्ले समये ५५. १३ सयोगी गुणस्थाने—४२ नो उदय. ज्ञानावरणीय ५, अंतराय ५, दर्शनावरणीय ४, ए १४ विना तथा तीर्थकर नाम कर्म मेळवतां कुल १३ प्रकृति बाद करतां ४२ रहे. (अहीं तीर्थंकर नाम कर्मनो उदय होय छे.) १४ अयोगी गुणस्थाने-१२प्रकृतिनो उदय छल्ला समय सुधी रहे. कारणके उपरनी ४२मांथी औदारिक द्विक २, अस्थिर १, अशुभ १, शुभ विहायोगति १, अशुभ विहायोगति १, प्रत्येक १, स्थिर १, शुंभ १, संस्थान ६, अगुरुलघु १, उपघात"१, श्वासोच्क्षस १, वर्ण १, गंध १, रस १, स्पर्श १, निर्माण १, तैजस १, पराघात १, कार्मण १, वज्रऋषभनाराच १, दुःस्वर १, सुस्वर १, साता अने असातामांथी

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