Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal

Previous | Next

Page 17
________________ .. . १, ए ३० प्रकृतिना उदयनो विच्छेद १३ माने अंते होय. अने १४ माने छेल्ला समये सुभग १, आदेय १, यश १, साता असातामांथी १, त्रस १, बादर १, पर्याप्त १, पंचेंद्रिय जाति १, मनुष्य गति १, मनुष्यायु १, जिन नाम १, उच्च गोत्र १, ए बार प्रकृतिनो उदय विच्छेद करे. ३ गुणस्थाने उदीरणा विचार. पहेला गुणस्थानथी छठा एटले प्रमत्त गुणस्थान सुधी उदयनी पेठे ज उदीरणा जाणवी. अप्रमत्त गुणस्थानथी त्रण त्रण प्रकृति ओछी करवी. एटले के उदयमा प्रमत्त गुणस्थाने स्त्यानार्द्ध त्रिक ३ अने आहारकद्विक २, ए पांच प्रकृतिनो विच्छेद थाय छे. पण उदीरणामां वेदनीय द्विक २, अने मनुष्यायु १, ए त्रण प्रकृति सहित आठ प्रकृतिनो विच्छेद थतो होगाथी अप्रमत्तादिक गुणस्थाने त्रण त्रण प्रकृति उदय करतां उदीरणामां ओछी गणवी. तेथी अप्रमत्ते ७३, निवृत्तिए ६९, अनिवृत्तिए ६३, सूक्ष्म संपराये ५७, उपशांतमोहे ५६, क्षीणमोहे ५४, अने सयोगीए ३९. अयोगी गुणस्थाने वर्तताने उदीरणा होती नथी.. ४ गुणस्थाने सत्ता विचार. ओघे १४८ प्रकृति होय. (१५८ मां बंधन १५ गण्या छे ते ५ गणवाथी १४८ थाय.) १ मिथ्यात्व गुणस्थाने-१४८ नी सत्ता.. २ सास्वादन गुणस्थाने-१४७ नी सत्ता. जिन नाम कर्म विना.. ३-मिश्र गुणस्थाने-१४७ नी सत्ता. जिननामकर्म विना. ४-अविरति गुणस्थाने-१४८नी सत्ता. अथवा अनंतानुबंधी ४, मिथ्यात्व १, मिश्र १, समकितमोहनी १, ए सातनो अंत थवाथी १४१ नी सत्ता अचरम शरीरी क्षायिक सम्यग्दृष्टिने उपशम श्रेणिनी अपेक्षाए होय. अने क्षपक श्रेणिनी अपेक्षाए नरकायु १, तिर्यगायु १, सुरायु १, ए त्रण विना १४५ नी सत्ता होय. अने तेमांथी सप्तक एटले सात टाळीये त्यारे १३८ नी सत्ता होय. (आ चारे भांगा अविरति गुणस्थानथी मांडीने अनिवृत्ति बादर संपराय नामना नवमा गुणस्थानकना प्रथम भाग सुधी होय. ते आ प्रमाणे.).. ओघे क्षपक- उपशम- क्षपकश्रेणीमां श्रेणी श्रेणी सप्तक क्षये ५ देशविरति गुणस्थाने-१४८- १४५- १४१ ) क्षायक १३८ ६ प्रमत्त गुणस्थाने- १४८- १४५- १४१ सम- १३८ ७ अप्रमत्त गुणस्थाने- १४८- १४५- १४१ किती १३८ ८निवृत्ति गुणस्थाने- १४८- १४५- १४२%3 .. ... १३८ ..... अनंतानुबंधी ४, तिर्यगायु १, नरकायु १, ए छ विना १४२ जाणवी.

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 312