Book Title: Vividh Pujan Sangraha Author(s): Champaklal C Shah, Viral C Shah, Publisher: Anshiben Fatehchandji Surana Parivar View full book textPage 7
________________ विविध पूजन संग्रह ॥६॥ Jain Education International BL ॐ नमः શ્રી નીતિ - હર્ષ - મહેન્દ્રસૂરીયાર ગુરુભ્યો નમઃ આચાર્ય વિજય હેમપ્રભસૂરિ આદિमुक्ति प्रदायिनी भक्ति पालीताएग अ. ५.१८ -20 १. Corte जिनशासन के उपासक प्रमुख निरंतर यह प्रार्थना करता है की " मुक्तिधा अधिक तुज मेसिन मुजमन बस्त" बहे! परमपिता परमेश्वर मे आपसे मुक्ति की प्रार्थना नहीं करता हु लेकीन मैक्ति की याचना करता हुंकी इस संसार में जबतक खुं तबतक तेरे चरण की रूपा निरंतर प्राप्त होती रहे। यही भनिन मुनिया की दुति है। मेकित मार्ग में मैक्ग को जोडने के लीये अनेक आलंबन बताये है। जिनमें प्रसिद्ध चक्रादि पूजन मर्यात्कार आलंबन है जिन माधना में आपाल- मवणा व मेवमें पड़ोचने में समर्थ बने एक अधिक पूजनों से युक्त विधिविधान के लीये अत्यंत आवश्यक पुस्तिका (प्रत) प्रकाशीत हो रही है जानकर अलाव अख़ुशी हुर आरे यह मंगल प्रार्थना करते है की आप सब यह मैक्तिको पाप्त करके शीघ्रातिशीघ्र युक्ति प्रति प्रयाण करे यही मंगल कामना यह For Personal & Private Use Only छ-कमलवारिक CACIM ॥ ६ ॥ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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