Book Title: Vividh Pujan Sangraha
Author(s): Champaklal C Shah, Viral C Shah, 
Publisher: Anshiben Fatehchandji Surana Parivar

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Page 4
________________ विविध पूजन संग्रह me R सहजत्यागी-मृदुभाषी-सरलस्वभावी-वंदनीय-तप तेज से देदिप्यमान मुखारविन्द गोडवाड दिपिका अनेक जीवों को सन्मार्गप्रेरिका, शंखेश्वर धाम तीर्थ प्रेरिका श्री ललितप्रभाश्रीजी (लहेरा म.) को सादर समर्पण नहीं जरूरत सूर्य की, आपके नाम को रोशन करने के लिए नहीं जरुरत आसमा की, आपके शोहरत की ऊँचाइ बढ़ाने के लिए नहीं जरूरत समुद्र की, आपके जीवन की गहराई नापने के लिए नहीं जरुरत धरती की, आपकी सहनशीलता परखने के लिए तो क्या जरूरत है फूलों की, आपके तप सौरभ को महकाने के लिए __ क्यों कि जो स्वयं ही पुण्यनिधान है, तपस्वी है सहनशीलता व मधुरता की मूरत है ऐसे श्रमणी पंथ के सुकानी पुण्यपनोता मेरे परम उपकारी संयम जीवन के नाविक आपकी चरणकिङ्करा साध्वी दक्षरत्ना MRAPD XAP सादर समर्पण PAR ॥३॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org

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