Book Title: Vidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Author(s): Gopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थनास
६३
६४
वैद्यकभाषा ( वैद्यविनोदभाषा )
विनयपत्रिका
६५ कृष्णस्तुतिके स्फुट पत्र गर्भचिन्तामणि
६६
६७
गुटका
(१) कंबोरको साखी (६० अंग )
(२) हरिवासजीकी साखी ७
अनन्तराम
कर्ता
तुलसीदास
रामचरणजी
फबीर
हरिवास
लिपिसमय
१८८७
पत्र संख्या
१६वीं
१८वीं
६२
१६१२ ८५
५
२५
विशेष विवरण आदि
[ ६०
जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह की प्राज्ञासे रचित । लि.क.- सदासुख ब्राह्मण द्वारा श्रीगोपीनाथजीका मन्दिर (पुरानी बस्ती) के समीप जयपुर में लिखित । स्यात् देवली में कोटेके पुरोहितजीसे प्राप्त । देसी फागज पर पक्की स्याहीको लिखी ।
लि.क.- सांव जोशी, खीरीनिवासी । घरू संग्रहमें जीजीबाई, श्री मोतीबाईकी है। अंगूरी कागज पर लिखी ।
श्री पुरोहितजी कहा करते थे कि यह मोतीवाई बड़ी योगिनी थीं। वह उनकी ज्येष्ठा भगिनो थी। (सं.)
फटे पुराने पत्रोंमें १ से १०७ छन्द तक । देशी फागज पर छोटा-सा गुटका ।
अपूर्ण । फटा हुआ जीर्ण गुटका । १० अंगुल सांचो ( समचौरस ), गत्ता नहीं है। दर पत्र त्रुटित है जो प्राप्त नहीं हैं ।
८५
पत्रों पर संख्या अंकित नहीं है। पत्र इतने जीर्ण हैं कि छूते ही शीर्ण हो जाते है। अतः इस प्रति का विवरण पुरोहितजी की सूची के अनुसार ही लिख दिया गया है। (सं.)