Book Title: Vidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Author(s): Gopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्त्ता
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
१०७
चित्रकाव्य
१०८ (१) फुटकर कवित्तों का संग्रह ( ६ चकवै, १४ रतन, १४ विद्या) (२) सुन्दरदासजी एवं मोहन
दासजीका पद्यमय पत्र-व्यवहार (३) दासजीको नाममहिमा रजबजीका गुणवत्त (१) सुन्दरदासजीके छन्द (२) प्रणाली
(३) महन्तलीला प्रदीपन
१०६
११०
१११ | भीष- घावनी
११२
निगडबंधका अर्थ
११३ | सुन्दरदासजीको ग्रंथ (ज्ञानसमुद्र )
सुन्दरदास, मोहनदास
दासजी
रजब
सुन्दरदास
भोषजन
सुन्दरदास
लिपिसमय पत्रसंख्या
१६वीं
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१७४२
४६
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२७५
विशेष विवरण आदि
बालकृष्ण महन्तको लीलावर्णन । (सं.)
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यह पुस्तक पूर्ण तो २६२ वें पृष्ठ पर हो जाती । इसके बाद पृष्ठों पर चित्रकाव्य श्रङ्कित हैं तथा स्वामी सुन्दरदासजीके हस्ताक्षरों में कई छन्द लिखित हैं (?) पृष्ठ २७५ के प्रतिरिक्त & पृष्ठ और हैं जिन पर भी चित्रकाव्य लिखित हैं । प्रति जीर्ण एवं शीर्ण है । सुन्दरदासजीकी रचनाओंकी प्राचीनतम प्रति । प्रतिके अन्त में - संवत् १७४२ वर्षे आषाढ़ सुदि षष्टी शनिवासरे पोथी लिबाइतें स्वामी सुन्दरदासजी, लिषतं रूपादास महाजन फतेपुरमध्ये, पोथी स्वामी सुन्दरदासजीको ग्रन्थ सम्पूर्ण ।