Book Title: Vidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Author(s): Gopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
...
यान प्रायप्रतिमानशिभूषण-प्रत्य-संग्रह-गची]
[ ११०
me
लिपिसमय ; पनसंख्या
विशेष विवरण आदि
३
१
प्रतापगचीगो (२) पीप
(३) गुरुचेलारा समादरा वुहा २१४ । सत्यय-सायलगाकी वारता
१८ "
१-१४ १५-२६ २६-२८
सुरसैण कति
१६५६
२१५
हरिरस
.
.
ईश्वरदास बारहट
१९६७
१२
वैद्यासारराजीवनगन्य .
लि.क.-भंडारी रामदास । र.का.-१७७६ । लि.क.-रामदास । लि.क.-रामदास ।
नोलीमें; लि.क.-साध भगवानदास . निरंजनी मंडावामध्ये। । इस पुस्तफके पीछेके पृष्ठोंमें बापजी श्री अल; जीका कह्या कवित्त ८ हैं। प्रति जीर्ण एवं वर्षाभिषिक्त है। (सं०) लि फ.-दामोदर शर्मा साहित्योपाध्याय विराट मध्ये। इसके प्राधिके १५ पृष्ठोंमेंसे उसमनकी कथा, हरीदासजीको बारषडी, फानजीकी वारामासी, लिखित हैं । लि.फ.रामदेव । भारती संग्रहका लिपिकाल १६१४ है। (सं.)।
सुन्दरवित्र
२१७ प्रारतीसंग्रह
: १९०७ ३१
२१८(१) सरस्वतीस्तोत्र .(२) नीसाणो जयस्यंघ सवाया
(३) स्फुट औषधि एवं ज्योतिष -
(४) वंशावली. फछयाहाफी. २१६ लीलावतीके हिसाबी शश्न तथा इश्ति
हारोंकी नकल। २२० । गुगचंपावतीविलारा . ..
१ला २-३ ४-२३ २४-५०
| इस पुस्तकमें सभी स्फुट पत्र हैं। .
आगिया कवि पूरन
। १८०२.....७१-|-२-७३ र.फा. सं. १८०२। अन्तिम दो पृष्ठों में: .
चम्पावती-अष्टक अपूर्ण लिखित है। प्रतिका द्वितीयपत्र प्राप्त है। (सं०)