Book Title: Vidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Author(s): Gopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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[८०
समान मागविधाप्रतिष्ठान---विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ]
विशेप विवरण आदि
लिपिसमय । पत्रसंख्या -
का
ग्रन्यनाम
१८वी.श.
राग धनाश्रीमें प्रारती तक ।
(७६) (५) नागवेवजी का पद राग १७, पदनामदेवजी
१४८ . १६) नामवेयजीको साखी १० साली
करीब प्राधे पत्रे तक ऊपर-ऊपरके दीमक खाये हुए हैं, पृष्ठांकोंका पता ही नहीं चलता है। ऊपर नीचे दीमक खाए पत्ते हैं।
'इति श्री' की दो लीक होंगलुकी बच रही है।
(७) रवासजीका पद
रदास राग १२, पद ८३ (5) रदासजीको साखी ४ (६) हरिदासजीका पद
स निरज्जनी .. राग १०. पद १०० : . . . ..... . (१०) हरिदासजीको साखी ४
(११). हरिदासजीको रमणी १० , . (१२) योगेश्वरीशब्दी चौपाई. १५१ गोरखनाथजी (१३) चैनजीका कडखा (रागमें १०) चैनजी
(१४) केवलजीका कउखा १. .
केवलजी
यह दादूदयालजीकी स्तुति और ज्ञान-दानके । हैं। इनमें वीररस, शान्तरसमें अध्यात्म भरा
पड़ा है। ये फडखे गाये जाते हैं। यहां तक ही पत्र हैं। प्रागे पत्र ही नहीं हैं। इस. फडसेमें-'केट सहितकी, प्रागे गुरूज . गोला फहैं. सूर सन्मूख रह गये दंग है: ।' । इतना ही लिखा है.। . : ... . ..:
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: बारहमासीसंग्रह गुटका। (१) बारहमासी खैरातीसाह(छन्द १३) रातीसाह
१६वीं श.
१-२०
प्रायः कविता साधारण परन्तु प्राशय रहस्य! मय । प्रशुद्ध मेरठी शब्दोंके प्रयोगके कारण : । मेरठनिवासी प्रतीत होता है। गुटका १०४७ ... अंगुल, ऊपर लाल खारवेका रेजीका गत्ता। ..