Book Title: Vichar ko Badalna Sikhe
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 153
________________ हो जाएं। समस्या यह है -आदमी जानता नहीं है। वृक्ष वही है एक कहानी है, बहुत पुरानी और मार्मिक। एक आदमी व्यापार करने दूर देश में गया, साथ में अपनी गाय को भी ले गया। जहां वह गया, वहां गाय नहीं होती थी। लोग जानते नहीं थे कि गाय क्या होती है ? ऐसे बहुत सारे टापू इस दुनिया में आज भी हैं जहां गाय नहीं पाई जाती। व्यापारी ने राजा से स्वीकृति ली और अपना व्यापार शुरू किया। उसने सोचा-राजा के साथ सम्बन्ध अच्छे रहेंगे तो व्यापार खूब चलेगा। इसी दृष्टि से एक दिन राजा को सम्मानपूर्वक दूध भेंट किया। राजा ने पूछा- 'यह क्या है ? उसने कहा-'मेरे देश की एक अच्छी चीज है।' 'इसका क्या करें ? 'आप इसे पीयें। राजा ने उस दूध को पीया, बहुत मीठा लगा। उसने उस पेय की बड़ी प्रशंसा की। दूसरे दिन वह खीर बनाकर राजा के पास ले गया। राजा ने उसे भी बहुत पसंद किया, बहुत चाव से खाया। दो-तीन दिन बाद वह रबड़ी लेकर राजा के पास पहुंचा। दूध की जितनी भी चीजें बनती हैं, एक-एक कर राजा की सेवा में लेकर वह उपस्थित होता रहा। राजा व्यापारी पर बहुत प्रसन्न हुआ, व्यापार से सम्बन्धित सारे कर माफ कर दिये। राजा ने कहा-तुम्हें हर तरह की राजकीय सुविधा मिला करेगी, तुम इसी तरह के खाद्य-पदार्थ हमारे पास पहुंचाते रहो। दो वर्ष बीत गए। एक दिन व्यापारी ने राजा से निवेदन किया-हुजूर ! अब मुझे इजाजत दें, मैं अपने देश जाना चाहता हूं। राजा ने कुछ क्षण सोचा, फिर कहा-तुम जा सकते हो, किन्तु यह बताते जाओ कि जो वस्तुएं तुम मुझे खिलाते रहे हो, वे कहां से आती हैं ? वह बोला-'हुजूर ! मेरे पास एक पेड़ है, उसी से ये सारी चीजें प्राप्त होती हैं।' राजा ने कहा- 'उस पेड़ को हमें दे जाओ।' व्यापारी ने अपनी गाय राजा को उपहृत करते हुए कहा-'राजन् ! यही वह पेड़ है। राजा ने खूटे की रस्सी से बंधी उस गाय की ओर इशारा कर अपने कर्मचारियों से कहा- 'यह पेड़ जब-जब जो चीज दे, उसे मेरे पास पहुंचाना।' हिमकुण्ड और अग्निकुण्ड दोनों आदमी में / १३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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