Book Title: Vichar ko Badalna Sikhe
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 180
________________ सदाचार बढ़ाओ । सदाचार है शक्ति और चमत्कार है कोरा प्रदर्शन । लोग फुटपाथ पर मदारी के करतब देखते हैं। उससे मनोरंजन के अलावा कुछ नहीं मिलता। लोगों की यह सहज और स्वाभाविक मनोवृत्ति होती है कि वे चमत्कारों की ओर बड़ी जल्दी आकर्षित होते हैं। किसी ने थोड़ा-सा चमत्कार दिखा दिया, हाथ की सफाई से क्षण भर में कोई मूर्ति निकाल दी या हाथ हवा में लहरा कर भभूत पैदा कर दी, मिठाई का डिब्बा हाजिर कर दिया, बस, लोग उसे सिद्ध मान लेते हैं । आज अनेक बाबाओं के धंधे इसी तरह फल-फूल रहे हैं । एक जादूगर ने आज के एक प्रसिद्ध बाबा को चुनौती भी दे डाली - 'जो जो चमत्कार वे दिखाते हैं, उसे मैं भी दिखा सकता हूं। जब भी, जहां भी चाहें, वे साथ-साथ प्रदर्शन कर सकते हैं ।' यह योग या अध्यात्म का चमत्कार नहीं, मात्र इन्द्रजाल या हाथ की सफाई है । चिन्तनीय प्रश्न चिन्तनीय प्रश्न यह है कि ऐसे चमत्कारों से आम आदमी को मिलता क्या है ? उस बाबा या मदारी को तो यह फायदा मिलता है कि उसकी पूजा-प्रतिष्ठा शुरू हो जाती है । उन चमत्कारों की आड़ में वह लोगों की धार्मिक भावना और आस्था का फायदा उठाकर आर्थिक लाभ भी बड़ी मात्रा में अर्जित कर लेता है, भव्य आश्रम और मोटरकारें खड़ी कर लेता है, किन्तु भोले श्रद्धालु लोगों को झूठी आशीष के अतिरिक्त और मिलता क्या है ? सदाचार जीवन में आता है तो शक्ति मिलती है। अगर पांच मिनट भी मन को एकाग्र करने की विद्या सीख ली तो निश्चय ही मनोबल बढ़ेगा, शक्ति मिलेगी । यह अनुभव भी होगा कि हमें कुछ मिला । जीवन भर चमत्कार देखते चले जाएं तो अन्त तक रोना ही रोना रहेगा, हाथ कुछ नहीं आयेगा । ये दो रास्ते हैं । हमें कौन - सा रास्ता लेना है, यह निर्णय स्वयं अपने हाथ में है। मन को शक्तिशाली और मजबूत बनाने के लिए सदाचार का मार्ग चुनना होगा। प्रश्न है - आचार अच्छा कैसे बन सकता है ? सदाचार का साधन क्या है ? हम मन में निरंतर पवित्र भावों का विकास करें । पवित्र भाव मन में सदाचार लायेगा और शक्ति का संचार करेगा । 1 १६६ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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