Book Title: Vartaman Tirthankar Shri Simandhar Swami
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 8
________________ वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी लेकिन कुछ मोक्षफल नहीं प्राप्त होगा। मोक्षफल तो आज जो हाजिर है वही दे सके। वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी 'नमो अरिहंताणं' आज कौन ? अभी जो हमारे लोग नौकार मंत्र बोलते है, वे किस समझ से बोलते है ? मैं ने उन लोगों से पूछा, तब मुझे बताया, 'चौबीस तीर्थंकर वही अरिहंत है।' तब मैं ने कहा, 'अरिहंत अगर उनको कहोगे तब फिर सिद्ध किसे कहोगे तुम? वे अरिहंत थे। वे तो सिद्ध हो गये, तब अभी अरिहंत कौन है ? ये लोग अरिहंत मानते हैं, वो किसे अरिहंत मानते है ?'नमो अरिहंताणं' बोले थे कि नहीं? वर्तमान तीर्थंकर की भजना से मोक्ष। प्रश्नकर्ता : सीमंधर स्वामी कौन हैं ? वह समझाने की कृपा करेंगे। दादाश्री: सीमंधर स्वामी वर्तमान तीर्थंकर साहिब है । वे दूसरे क्षेत्र में हैं। महाविदेह क्षेत्र में तीर्थंकर साहिब हैं। ऋषभदेव भगवान हुए, महावीर भगवान हुए....उनके जैसे यह सीमंधर स्वामी तीर्थंकर हैं। तीन प्रकार के तीर्थंकर। एक भूतकाल के तीर्थंकर, एक वर्तमान काल के तीर्थंकर और एक भविष्यकाल के तीर्थंकर। इनमें भूतकाल के तो हो चूके। उनको याद करने से हमें पुण्यफल मिलेगा। उसके अलावा जिनका शासन होगा, उसकी आज्ञा में रहने पर धर्म उत्पन्न होता है। वह मोक्ष की ओर ले जानेवाला हो। मगर जो कभी वर्तमान तीर्थंकर को याद करे तो उसकी बात ही अलग। वर्तमान की ही कीमत सारी, नक़द रूपये हो उसकी कीमत। बाद में आयेगे वे रूपये भावि और गये वे तो गये। अर्थात् नक़द बात चाहिए हमें। इसलिए नक़द पहचान करा देता हूं न! और ये बातें भी सभी नक़द है। धीस इझ धी केश बेंक ऑफ डिवाईन सोल्युशन। नक़द चाहिए, उधार नहीं चलता। और चौबीस तीर्थंकरो को भी हम नमस्कार करते है न ! चौबीस तीर्थंकरो को भी हम संयति पुरुष क्या कहते थे ? भूत तीर्थंकर कहते थे। भूतकाल में हो गये इसलिए। पर वर्तमान तीर्थंकरों को खोज निकालो। भूत तीर्थंकरो की भजना से हमें संसार में प्रगति होगी, ये चौबीस तीर्थकर है न, वे अरिहंत कहलाये। मगर वह जब तक जीवित थे तब तक अरिहंत । अब वे तो निर्वाण होकर मोक्ष में गये। इसलिए सिद्ध कहलाये। अर्थात् सिद्धाणं में जाये। इससे अरिहंताणं नहीं है कोई। ये जो चौबीस तीर्थंकरो को ही अरिहंत मानते है, उन्हें मालूम नहीं है कि वे तो सिद्ध हो गये। अर्थात ऐसा उलटा चलता है। इसलिए नौकार मंत्र फल नहीं देता। फिर मैं ने उन्हें समझाया कि अरिहंत अभी सीमंधर स्वामी है। जो हाजिर हो, जीवित हो वही अरिहंत। तीर्थंकर कहते गये कि 'अब भरत क्षेत्र में चौबीसी बंद होती है, अब तीर्थंकर नहीं होंगे। इसलिए महाविदेह क्षेत्र में तीर्थंकर है, उन्हें भजना ! वहाँ पर वर्तमान तीर्थंकर है।' पर यह तो लोगों के लक्ष में ही नहीं और इन चौबीस को ही तीर्थंकर कहते है। उनमें सारे के सारे लोग! बाकी भगवान तो सब कुछ दिखाकर गये है। वह महावीर भगवान ने सब कुछ स्पष्ट किया था। महावीर भगवान जानते थे कि अब अरिहंत नहीं है। किसे भजेंगे यह लोग? इसलिए उन्हों ने स्पष्ट किया बीस तीर्थंकर है और सीमंधर स्वामी भी है। खुला किया इसलिए बाद में चलने लगा। मार्गदर्शन महावीर भगवान का, बाद में

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