Book Title: Vartaman Tirthankar Shri Simandhar Swami
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 22
________________ नित्यक्रम वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी जिसकी आवश्कता है, उसकी हमें जरूरत है। और सीमंधर स्वामी के पास बैठे रहो, वह मूर्ति के पास बैठे रहो, तो भी हेल्प होगी। मैं भी बैठा रहता हूँ, मुझे तो मोक्ष मिल गया है, तो भी मैं बैठा रहा हूँ वर्ना मुझे उनका क्या काम था ? क्योंकि अभी वे ऊपरी है। उनके दर्शन करे तब मोक्ष होगा वर्ना मोक्ष नहीं होगा। उनके दर्शन करे, वह किसके दर्शन? मोक्ष स्वरूप के। देह के साथ जिसका स्वरूप मोक्ष है। - जय सच्चिदानंद प्रात:विधि श्री सीमंधर स्वामी को नमस्कार । वात्सल्यमूर्ति श्री दादा भगवान को नमस्कार । प्राप्त मन-वचन-काया से इस जग के कोई भी जीव को किंचित्मात्र भी दुःख न हो, न हो, न हो। केवल शुद्धात्मानुभव के सिवा इस जग की कोई भी विनाशी चीज मुझे नहीं चाहिए। प्रगट ज्ञानी पुरुष 'दादा भगवान' की आज्ञा में ही सदा रहने की परम शक्ति प्राप्त हो, प्राप्त हो, प्राप्त हो। ज्ञानी पुरुष दादा भगवान के वीतराग विज्ञान का यथार्थता से, संपूर्ण रूप से, सर्वांग रूप से केवल ज्ञान, केवल दर्शन और केवल चारित्र्य में परिणमन हो, परिणमन हो, परिणमन हो। नमस्कार विधि प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र में विचरते, तीर्थंकर भगवान श्री सीमंधर स्वामी को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (४०) प्रत्यक्ष दादा भगवानकी साक्षी में वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रो में विचरते 'ॐ परमेष्टि भगवंतो' को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में विचरते 'पंच परमेष्टि भगवंतो' को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ।

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