Book Title: Vartaman Tirthankar Shri Simandhar Swami
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 11
________________ वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी दादाश्री : वह तो हमारे इस क्षेत्र से बिलकुल अलग है । इशान दिशा में है। सभी क्षेत्र अलग अलग है। वहाँ ऐसे ही जा सके वैसा नहीं है। प्रश्नकर्ता : महाविदेह क्षेत्र हमारे भरत क्षेत्र से अलग गिना जाता है ? दादाश्री: हाँ, अलग। एक यह महाविदेह क्षेत्र है, जहाँ सदा के लिए तीर्थंकर जनमते रहते है और हमारे क्षेत्र में कुछ समय पर ही तीर्थकर जनमते हैं। बाद में नहीं रहते। हमारे यहाँ कुछ समय के लिए तीर्थंकर नहीं भी होते। लेकिन अभी ये सीमंधर स्वामी है, वे हमारे लिए है। वे अभी लम्बे अरसे तक रहनेवाले है। भूगोल, महाविदेह क्षेत्र की। प्रश्नकर्ता : अब महाविदेह क्षेत्र के विषय में थोड़ा डिटेल में (विस्तृत में) बताईए। इतने जोजन दूर मेरूपर्बत, ये जो बातें शास्त्र में लिखी है, वे सही है? दादाश्री : सही है। उनमें फर्क नहीं। गिनतीपूर्ण वस्तुएँ है। हाँ, इतने साल का आयुष्य और अभी कितने साल रहेंगे, ये सब गिनतीपूर्ण है। सारा ब्रह्मांड है, उसमें मध्यलोक है। अब इसमें पंद्रह प्रकार के क्षेत्र है। मध्यलोक ऐसे राइन्ड (गोलाकार) है। लेकिन लोगों को दूसरी कुछ समझ नहीं होती इसमें। क्योंकि एक वातावरण में से दूसरे वातावरण में जा नहीं सकते ऐसे क्षेत्र है भीतर । मनुष्यों के जन्म होने की और मनुष्य लोगों के रहने की पंद्रह भूमिकाएँ है। हमारी इनमें से यह एक भूमिका है। इसके उपरांत दूसरी चौदह है। उनमें हमारे जैसे ही मनुष्य जहाँ देखो वहाँ है। हमारे कलयुग के है और वे सत्युग के है। कहीं कहीं कलयुग भी सही और किसी जगह सत्युग भी सही। इस तरह मनुष्य है और वहाँ पर महाविदेह क्षेत्र में अभी सीमंधर स्वामी स्वयं है। अभी उनकी देढ लाख साल की उम्र है और अभी सवा लाख साल तक रहनेवाले है। रामचंद्रजी के समय इनको देखा था। उसके पहले वे जन्मे थे। रामचंद्रजी ज्ञानी थे। वे जन्मे थे यहाँ पर वे सीमंधर वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी स्वामी को देख सके थे। सीमंधर स्वामी तो उनके पहले के, बहत पहले के है। ये सीमंधर स्वामी है, उन्हें जगत कल्याण करना है। श्री सीमंधर स्वामी, भरत कल्याण के निमित्त। प्रश्नकर्ता : महाविदेह क्षेत्र में अभी तीर्थंकर बिराजते है, ऐसे दूसरे किसी क्षेत्र में कोई तीर्थंकर बिराजते है ? दादाश्री : ये पाँच भरतक्षेत्र और पाँच ऐरावत क्षेत्र में, वर्तमान में तीर्थंकर नहीं बिराजते। अन्यत्र पाँच महाविदेह क्षेत्र है, वहाँ इस समय चौथा आरा है, वहाँ पर तीर्थंकर विचरते है। वहाँ सदैव चौथा आरा होता है और हमारे यहाँ तो पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा, पाँचवां, छठ्ठा - इस तरह आरे बदलते रहते है। प्रश्नकर्ता : यहाँ पर कब तीर्थंकर होते है ? दादाश्री : यहाँ तीसरे-चौथे आरे में तीर्थंकर होंगे। प्रश्नकर्ता : और तीर्थंकर वे हमारे यहाँ हिन्दुस्तान में ही होते है और कहीं नहीं होते? दादाश्री : इसी भूमिका में । यही भूमिका, हिन्दुस्तान की ही ! इसी भूमिका में तीर्थंकर होंगे, दूसरी जगह पेदा ही नहीं होते। चक्रवर्ती भी यही भूमिका में होंगे, अर्धचक्री भी यही भूमिका में होंगे। त्रेसठ शलाका पुरुष सभी यहीं होते है। प्रश्नकर्ता : इस भूमि की कुछ महत्वता होगी? दादाश्री : यह भूमि बहुत उच्च गीनी जाती है। प्रश्नकर्ता : सीमंधर स्वामी का पूजन किस लिए ? अन्य वर्तमान तीर्थंकरो का पूजन क्यों नहीं ?

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