Book Title: Vartaman Tirthankar Shri Simandhar Swami
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 16
________________ वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी हमें मालुम हो जाये। तीर्थंकर होने में फायदा नहीं है। हमें तो मोक्ष में जाने में फायदा है। तीर्थंकर को मोक्ष में ही जाने का है न! प्रश्नकर्ता : कितने साल में हमारा गोत्र बदले ? गोत्र किस प्रकार बदले? दादाश्री : वह तो अच्छा काल हो और तीर्थंकर स्वयं हो, तब तीर्थंकर गोत्र बंधे। प्रश्नकर्ता : दादाजी, लेकिन अब कलयुग के बाद सत्युग ही आनेवाला है न? अर्थात् अच्छा काल आयेगा न? दादाश्री : नहीं, लेकिन वह तीर्थंकर हो तब न । वह तीर्थंकर आये, उनसे पहले ही ये सभी हम में से ज्यादातर मोक्ष में चले जायेंगे। प्रश्नकर्ता : मुझे बार बार ऐसा होता है कि हम तीर्थंकर क्यों नहीं हो सकते ? या फिर सीधे मोक्ष में ही जा सके? फिर ज्ञान हुआ आपके पास से कि तीर्थंकर गोत्र बांधा हो तभी ही तीर्थकर हो सकते है। तो अब हम से किस प्रकार गोत्र बांधा जाये ? दादाश्री : अब भी तुझे फिर से लाख बरस-अवतार करने हो तो बंधेगा। तो फिर से बंधवा दूँ और फिर सातवें नर्क में बहुत बार जाना पड़ेगा। कितनी बार नर्क में जाये, तब है तो फिर ऐसे अच्छे पद मिले। प्रश्रकर्ता : लेकिन ऐसे अच्छे पद प्राप्त करने हो तो नर्क में जाने में क्या हर्ज? दादाश्री : रहने दे, तेरी होशियारी रहने दे चुपचाप। सयाना हो जा। थोडा तप करना पडेगा, उस घडी मालुम पड़ेगा! और वहाँ तो ऐसे तप करने पडते है, वह नर्क की बात भी तुझे सुनाऊँ तो सुनते ही मनुष्य मर जाय उतना कष्ट है वहाँ तो। सुनते ही आज के मनुष्य मर जाये कि अरेरे... हो गया। प्राण निकल जायें। इसलिए मत बोलना ऐसा वर्ना ऐसा हो जायेगा। वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी भूल से भी उन्हें परोक्ष न मानना। अन्य जगह पर सीमंधर स्वामी की मूर्तियाँ रखी है, कई जगहों पर रखी होगी, मगर यह महेसाणा के मंदिर जैसा होना चाहिए तो इस देश का बहुत कल्याण होगा। प्रश्नकर्ता : वह किस प्रकार कल्याण होगा? दादाश्री : सीमंधर स्वामी जो वर्तमान तीर्थंकर है, उसे मूर्ति रूप भजें। ऐसा मानिए कि महावीर होते, महावीर के समय में हम होते तो और वे इस तरफ विहार करते करते नहीं आ सकते और हम वहाँ नहीं जा सक ते, तो हम यहाँ 'महावीर, महावीर' करे तो हमें प्रत्यक्ष के समान ही लाभ है न ? लाभ है कि नहीं? प्रश्रकर्ता : हाँ, है । दादाश्री: वर्तमान तीर्थंकर अर्थात् ? वर्तमान तीर्थंकर के परमाणु धूमते हो। वर्तमान तीर्थंकर का बहुत लाभ होवे। प्रश्नकर्ता : मैं घर बैठकर सीमंधर स्वामी को याद करूँ और मंदिर जाकर याद करूँ, उसमें फर्क सही ? दादाश्री : फर्क पड़ेगा। प्रश्नकर्ता : क्योंकि वहाँ प्रतिष्ठा की है, प्राणप्रतिष्ठा की है इसलिए? दादाश्री : प्रतिष्ठा की है और वहाँ पर देवलोगों की अधिक रक्षा होती है। इसलिए वहाँ ऐसा वातावरण होगा, इससे वहाँ असर ही ज्यादा होगा न? वह तो तुम दादा का मन में करो और यहाँ करो, उसमें फर्क तो बहुत पडेगा न ? प्रश्नकर्ता : दादा, आप तो जीवित है। दादाश्री : उतना ही जीवित वे है। जितना जीवित यह है उतना ही

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