Book Title: Vanaspati Vigyan
Author(s): Hanumanprasad Sharma
Publisher: Mahashakti Sahitya Mandir

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Page 6
________________ ( 5 ) उसका सर्व-साधारण की बुद्धि में आना कठिन ही नहीं, असम्भव भी है। साथ ही उसे समझकर हम कोई लाभ भी नहीं उठा सकते। वह इसलिए कि उनका हमारे शरीर के लिए क्या उपयोग है, इसे अभी वे विशेष रूप से नहीं समझा सके हैं / आज से पचास वर्ष बाद वह समय आएगा, जब हिन्दी-पाठकों को उसकी आवश्यकता प्रतीत होगी। किन्तु इन शब्दों के माने यह न समझना चाहिए कि मैं उनका विरोधी हूँ, बल्कि उसका दृढ़ समर्थक हूँ। यदि एक काम मैं आज कर जाऊँ और उसका आनन्द हमारी भावी संतान ले, तो इससे बढ़कर हमारे लिए गौरव की बात और क्या हो सकती है ? किन्तु ऐसे लोगों की भी आवश्यकता है, जो कम-सेकम वर्तमान समय का भी ध्यान रखें / __ अब मैं पुस्तक के नाम के विषय में भी थोड़ा निवेदन करना आवश्यक समझता हूँ; क्योंकि जिस समय स्वलिखित "आहारविज्ञान" प्रकाशित किया था, उस समय कुछ सहयोगियों को यह शिकायत हुई थी कि 'विज्ञान' शब्द तो केवल 'साइन्स' के अर्थ में प्रयुक्त होता है / किन्तु नहीं, यह उनका भ्रममात्र है / 'विज्ञान' शब्द की रचना उस समय हुई थी जिस समय 'साइन्स' के पर. दादा का भी पता न था। किन्तु आधुनिक समय में 'साइन्स' के लिए कोई उपयुक्त अर्थवाची शब्द हिन्दी में न मिलने से साइन्स. वालों ने विज्ञान शब्द को अपना लिया। विज्ञान का अर्थ है

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