Book Title: Vaidik Bhasha Me Prakrit Ke Tattva
Author(s): Premsuman Jain, Udaychandra Jain
Publisher: Z_Jain_Vidya_evam_Prakrit_014026_HR.pdf

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Page 9
________________ वैदिक भाषा में प्राकृत के तत्त्व २७१ नडो भडो घडो घडइ दालिम कीलइ IE FEIE aa (१७) ट कोड हव्यराड् (ऋ१-१२-६) हव्यराट, नटः जनराड् (यजु ५-२४-१) जनराट, भटः स्वराड् (यजु ५-२४-१) स्वराट, घटः सम्राड् (यजु ४-३०-१) सम्राट, घटति (१८) ड को ल ईले२६ ईडे, दाडिम अहेलमान अहेडमान, क्रीडति (१९) न कोण ण (साम-सू० ५७) णो (सा० २५) णयामि (अ० २-१९-४) (२०) ध को थ, थ को ध समिथ (यजु १७-७९-१) समिध माघव (शतब्रा-४-१-३-१०) माधव अध (सा० १४९६) ___ अथ नाध२७ नाथ यथा (२१) द को उ दूउम (वा० सं० ३-३६) दुर्दम, दम्भः पुरोडास (यजु ३-४४) पुरोदास, दाहः (२२) १२८ को ब त्रिष्टुब गायत्री (ऋ १०-१४-१६) त्रिष्टुप, कुणपं क्लापः (२३) ब को भ त्रिष्टुभ (यजु १३-३४-१) त्रिष्टुब, बिसनी (२४) भ को ह दूलह (ऋ.१-६१-१४) दुर्लभ ककुह (ऋ. १-१८१-५) कुकुभ, ऋषभ । डम्भो डाहो कुणवं क्लावो भिसिणी ककुह, रिसह परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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