Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 13
________________ १० अव. अनं० | पाइयअझयणनाम ॥१७॥ यत्किञ्चित् चित्रमय बे अतोनोगाथादि समन्वय ११४ विणयसुअज्स्यणं परीसहज्झयण चाउरंगियं असंखयज्झयण अकाममरणिज खुड्डगनियंठिन चित्रमय वे प्रतोनो गाथादि-समन्वय पं० भुवनविजय म० प्रत संस्कृतनाम अ० गा० सलं० गा० | अन्त्यपत्र । विनयश्रुताध्ययनम् ४८ ८अ परीषहाध्ययनम् सू०१,गा०४६ १५अ चातुरड्-गीयाध्ययनम् १८अ असंस्कृताध्ययनम् १२७ २० अकाममरणीयमध्ययनम् २४अ क्षुल्लकनिर्घन्धीयमध्ययनम् २६आ एलकीयमध्ययनम् ३० कापिलिकमध्ययनम् ३३अ नमिप्रवज्याध्ययनम् २८९ ४० द्रुमपत्रकमध्ययनम् ४५ बहुश्रुतपूजा ४९ हरिकेशीयमध्ययनम् ४०५ श्री पुन्यवि०म०प्र० अ० गा०। अ.प्र० ३आ ६अ ७अ ८ ९आ १०आ १२आ १३आ १५ १७ १९ 5 + . . m २०७ . + .. RA...ACK a कावालियं-काविलीयं नमिपब्वजा दुमपत्तर्य बहुस्सुयपुवं हरिएसिवं (ज) n . . ॥१७॥ = . ३५८ ? . २२ Jain Education International For Privale & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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