Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
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विणयमुयमज्झयणं. वेर मे अप्पा दन्तो संजमेण तवेण य । माहं परेहि दम्मन्तो बन्धणेहि वहेहि य १६. पमणीयं च बुद्धाणं वाया अदुव कम्मुणा । आवी वा जश् वा रहस्सि नेव कुज्जा कया वि १७. न परकर्ड न पुर नेव किच्चाणं पिट । न जुञ्जे ऊरुणा ऊ6 सयणे नो पमिस्सुणे १८. नेव पदहत्थियं कुज्जा परकपिण्णं च संजए। पाए पसारिए वावि न चिटे गुरुणन्तिए १ए.
आयारिएहिं वाहितो तुसिणी न कयाइ वि।। पसायपेही नियागढी उवचिढ़े गुरुं सया २०. बालवन्ते लवन्ते वा न निसीएज कयाइ वि घइऊणमासणं धीरो जर्ड जत्तं पमिस्सुणे २१. पासणगढ न पुच्छेजा नेव सेजागउँ कयाँ। बागम्मुक्कु सन्तो पुच्छिज्जा पञ्जलीउमो २५. एवं विणयजुत्तस्स सुयं अत्थं च तदुनयं । पुच्छमाणस्स सीसस्स वागरिज जहासुयं २३. मुसं परिहरे निक्खू न य ओहारिणिं वए। नासादोसं परिहरे मायं च वजाए सया २४. . १ Ch. (चा.) वरि. A. ) वर. २ A. (आ.) जुत्तं. ३ A. adds (आ मां वधारे) इवि. ४ Ch. (चा.) सुत्तं.

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