Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ ॥ परीसहज्झयणं॥ . द्वितीयं अध्ययनम् सुयं मे बाउसं तेणं जगवया एवमक्खायं । इह खलु बावीसं परीसहा समणेणं नगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे निक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा अनिय निक्खायरियाए परिवयन्तो पुट्ठो नो विहणेजा । कयरे' खलु ते बावीसं परीसहा समणेणं नगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे निक्खू सुच्चा नच्चा जिच्चा अनिभूय निक्खायरियाए परिवयन्तो पुट्टो नो विहएणेजी ॥ इमे खनु ते बावीसं परीसहा समणेणं जगवया महावीरेणं कासवेणं पवेश्या, जे निक्खू सुच्चा नच्चा जिच्चा अनिभूय निक्खायरियाए परिवयन्तो पुट्ठो नो विहएणेङा । तं जहा । दिगिहापरीसहे १ पिवासापरी सहे २ सीयपरीसहे ३ उसिणपरीसहे ४ दसमसयपरीसहे ५ अचेलपरीसहे ६ अरइपरीसहे ७ इत्थीपरीसहे ७ चरियापरीसहे ९ निसीहियापरीसहे १० ____१ Ch. (चा.) क ते ख. २ Ch. (चा.) निएहवेज्जा. दिगिंछा. ३ Ch.

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 206