Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
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उत्तरज्झयणं. न लवेका पुट्ठो सावऊ न निरटं न मम्मयं ।। अप्पणहा पाहा वा उत्नयस्सऽन्तरेण वा २५. समरेसु यांगारेसु सन्धीसु य महापहे। एगो एगथिए सद्धिं नेव चिढे न संलवे २६. जम्मे वुद्धा ऽणुसासन्ति सीएण फरुसेण वा। मम लानो त्ति पेहाए पयो तं पमिस्सुणे २७. अणुसासणमोवायं मुक्कमस्स य चोयणं । हियं तं मण्णई पण्णो वेसं होश असाहुणो २८. हियं विगयनया बुद्धा फरुसं पि अणुसासणं । वेस तं होइ मूढाणं खन्तिसोहिकरं पयं ए. आसमे उवचिडेजा अणुच्चे अकुए थिरे । अप्पुट्ठाई निरुटाई निसीएजऽपकुक्कुए ३०. कालेण निक्खमे निकखू कालेण य पमिकमे। अकालं च विवजोत्ता काले कालं समायरे ३१. परिवामीए न चिडेजा जिक्खू दत्तेसणं चरे।। पभिरूवेण एसित्ता मियं कालेण जम्खए ३५. नाश्रमणासन्ने नऽन्नेसिं चक्खुफासयो। एगो चिटेज जत्तहा लड्डिया तं नऽइक्कमे ३३.
१ Ch. (चा.) अगारेसु. २ A. ( आ.) बूदा. ३ Ch. (चा.) बेसं. ४ Ch. (चा.) नइक्कमे.

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