Book Title: Updeshpad Mahagranth Part 01
Author(s): Pratapvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala

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Page 12
________________ श्रीउपदे सोलर निदर्शनम् शपद 65555 च वाओधूलिडमरेसु । उज्जोइयदिसिचको जाओ तणओ कयचमको ॥ २२॥ वद्धावणयाईसुं विहिएK विविहजाइ- कम्मेसु । समयम्मि तस्स नामं पइट्ठियं बंभदत्तत्ति ॥ २३ ॥ सियपक्खसोममंडलमिव बुढेि एस लद्धं चारद्धो । लच्छी६ निवाससिरिवच्छकलियवच्छत्थलो एसो ॥२४॥ कत्थइ समए कडगाइएसु पत्तेसु बंभनिवपासे । बंभस्स सिरे रोगो जाओ दावियसुयणसोगो ॥२५॥ सुत्तत्थपारगेहिं पहाणविजेहि ओसहाईसु । सम्मं पउंजिएसुवि न निवत्तइ जा सिरोवियणा ॥२६॥ मरणावसाणमेयं जयमेवं निच्छयं मणे काओ । वाहरिया कडगाई समप्पिओ वंभदत्तो सिं ॥२७॥ जह सयलकलाकुसलो पावियनीसेसरजपन्भारो। जायइ सुओ ममेसो तह कायचं ति भणिया य ॥२८॥ तत्तो कमेण पत्तो परलोयपहम्मि बंभनरनाहो । मयकज्जेसु कएसुं सव्वेसुवि जणपसिद्धेसुं॥२९॥ ते रजकज्जसज्ज संछाविय तत्थ दीहनरनाहं । कडगाई तिन्नि निवा संपत्ता नियनिययरजेसु ॥ ३०॥ चुलणीए दीहस्स य दोण्हवि कज्जाइं चिंतयंताणं । सीलवणदहणपवणो जलणोव विजंभिओ मयणो ॥ ३१॥ अगणियकुलमालिण्णा चुलणी चडुलत्तणेण चित्तस्स । दूरुज्झियजणलज्जा रजित्था पावदीहमि ॥ ३२॥ इयरो उण छिदरओ कुडिलगई विसयगिद्धिविसपुण्णो। चुलणीएर त्तच्छो संजाओ दीहपट्ठो च ॥ ३३ ॥ नायं नीसेसमिणं चरियं चुलणीइ सीलभंगफलं । धणुणाऽमच्चेण विचिंतियं च नो कुमरकुसलमओ ॥ ३४ ॥ भणिओ य वरधणू तेण पुत्त कुमरस्स अप्पमत्तेणं । कुज्जा सरीररक्खा जणणी णो सुंदरा जेण ॥ ३५॥ समए य माउचरियं जाणावेयवतए सबं । जेण ण पावेज इमो उवदवं केणइ छलेण ॥ ३६॥ उवलद्धे जणणीए चरिए तो तिवअमरिससणाहो । कुमरो कालवसेणं संजाओ जोवणाभिमुहो ॥ ३७॥ जणणीइ जाण 1595302 ॥५॥

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