Book Title: Updeshpad Mahagranth Part 01
Author(s): Pratapvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala
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श्रीउपदे
पहियलोयाणं
न ओयरंति तरुवहलपल्लवंतरिया । मन्ने नवनवउतदभसूई कयभयाओ॥८६॥ मयरायपहयगयकुंभगलियमुत्ताहलाई ६१चोल्लकोरेहति । जत्थुण्णयतरुसिहरग्गखलियतारावलीओ य॥८७ ॥ जत्थ बहुभिल्लभल्लयसल्लियचित्तगझरंतरुहिरेण । भाइ महीदारणम् .. वणदेवयचलणालत्तयरसेणेव ॥८६॥ जं जमपुरंव सवराहएहि उइंडपुंडरीएहिं । तरुसाहासिहरोलंबिएहिं भीमेहिं एगत्थः ॥ ८९॥ अन्नत्तो हरिहिंसियसमयगइंदविवियडकूडेहिं । निच्चं संतासुक्करिसकारगं पहियलोयाणं ॥९०॥ गयगंधगभिणेसुं तरूसु सत्तच्छएसु गुविलेसु । करिसंकिणो मइंदा भमंति विहलक्कमा जत्थ ॥११॥जत्थ गमइंति कइणो हेमंतं तरुवरग्गसंलग्गा । सययं पसरियअइगुरूणी सासुण्हेहि पवणेहिं ॥ ९२ ॥ तण्हाछुहाकिलंतो तं अडविमइक्कमित्तु तइयदिणे । पेच्छइ तावसमेकं तवसुसियतणुं पसन्नमणं ॥ ९३ ॥ तहसणमित्तेणवि संजाया तस्स जीवियासंसा । पयपणिवायपुरस्सरमापुट्ठो तेण सो भगवं ॥ ९४ ॥ तुम्हाणमासमो कत्थ तेण कहिओ तओ कुलवइस्स । नीओ समीवमाभासिओ य सप्पणयमेएणं ॥ ९५ ॥ बहुपच्चवायमेयं रणं सुण्णं च सज्जणजणेण । ता कह तुह आगमणं जायं संपइ महाभाग! |॥ ९६ ॥ सम्भावगम्भमेयं नाऊण जहडिओ नियगिहस्स । कुमरेणं वुत्तंतो कहिओ सबोवि कुलवइणो ॥ ९७॥ दूभग्गप्पणयपरवसेण कुलसामिणा तओ भणिओ। बंभस्स तुम्ह पिउणो भायाहं चोल्लगो आसि ॥ ९८ ॥ ता वच्छ ! निओ चिय एस आसमो निभयं परिवसाहि । मुंचसु विसायमेयारिसाई संसारचरियाई ॥९९॥ होऊण उन्नयाओ तह भरियाओ जलस्स जंतम्मि । जह घडियाउ खणाओ जायते इयररूवाओ॥ १०॥ तह इत्थं भवचक्के लच्छीनिलया जणुत्तमकुला य । होओ कालवसाओ जीवा जायंति विवरीया ॥ १०१॥ इत्थीचरिएसु न कोइ केणई विम्हओ विसाओ
पावसमेकं तवससिपी सासुण्हेहिमात विहलक्कमा

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