Book Title: Updesh Siddhant Ratanmala
Author(s): Nemichand Bhandari, Bhagchand Chhajed
Publisher: Swadhyaya Premi Sabha Dariyaganj

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Page 250
________________ मिथ्यात्व के प्रवाह में आसक्त जो लोक उसमें परमार्थ को जानने वाले थोड़े हैं और जो गुरु हैं वे अपनी महिमा के रसिक हैं सो शुद्ध मार्ग को छिपाते हैं। अर्थात् धर्म का स्वरूप गुरुओं के उपदेश से जाना जाता है परन्तु जो गुरु कहलाते हैं वे इस काल में अपनी महिमा में आसक्त हुए यथार्थ जिनधर्म का स्वरूप कहते नहीं इसलिए जिनधर्म की विरलता इस काल में हुई है। wwwwwwwwwww १७४

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