Book Title: Updesh Siddhant Ratanmala
Author(s): Nemichand Bhandari, Bhagchand Chhajed
Publisher: Swadhyaya Premi Sabha Dariyaganj

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Page 277
________________ AV.IN जीव जिनसूत्र का उल्लंघन करके उपदेश । देते हैं उनके सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति रुप जो बोधि उसका नाश होता है तथा अनन्त काल संसार बढ़ता है। अतः प्राणों का नाश होते हुए भी जो धीर पुरुष हैं वे । जिनसूत्र का उल्लंघन करके नहीं बोलते हैं। कषाय के वश से जिनवर की आज्ञा के सिवाय यदि एक अक्षर भी कहे तो ऐसा पाप होता है जिससे निगोद चला जाता है इसलिए जिनवाणी के सिवाय अपनी पद्धति बढ़ाने अथवा मानादि का पोषण करने के लिए उपदेश देना योग्य नहीं IAN VAN LAM २०१

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