Book Title: Updesh Siddhant Ratanmala
Author(s): Nemichand Bhandari, Bhagchand Chhajed
Publisher: Swadhyaya Premi Sabha Dariyaganj

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Page 282
________________ SMITA N/ अज्ञानी जीव गुण-दोष का निर्णय नहीं करते-यह अज्ञान का माहात्म्य वीतरागी होने का उपाय कर। अज्ञानी तो नरक का दुःख और ज्ञानी शाश्वत सुख पाता है। इस काल में मिथ्यात्व की प्रवृत्ति घनी है और श्रावकपने की अत्यन्त दुर्लभता है सो ऐसे विषम पंचम काल में भी जो मैं जीवन मात्र धारण किये हुए हूँ और श्रावक का नाम धारण किये हुए हूँ अर्थात् श्रावक कहलाता हूँ सो भी हे प्रभो ! महान आश्चर्य है। Looo संयमियों के मन में असंयमियों को देखकर बड़ा संताप होता AS मोह की भी महिमा अचिन्त्य बहुत आरम्भ-परिग्रह से नरकादि दुःख होते है। AS

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