Book Title: Updesh Siddhant Ratanmala
Author(s): Nemichand Bhandari, Bhagchand Chhajed
Publisher: Swadhyaya Premi Sabha Dariyaganj

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Page 256
________________ मिथ्यात्व के नाश का उपाय जिनमत है। जिनमत पाकर भी जिनका मिथ्यात्व भाव नहीं जाये तो फिर उसका कोई और उपाय नहीं है। यह तीव्र पाप का ही उदय है कि निमित्त मिलने पर भी जीव ने यथार्थ जिनमत को नहीं पाया। हास्य तो करना सर्वत्र ही पाप है परन्तु जो जीव धर्म में हास्य करते हैं उनका पाप महान होता है। PL नहीं पाया। AMus कोई अधिक धनादि रखकर अपने को बड़ा माने सो ऐसा जिनमत में तो नहीं है, यहाँ तो धनादि के त्याग की ही महिमा हैऐसा जानना। १८०

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