Book Title: Updesh Chintamani Satik Part 04
Author(s): Jayshekharsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उप चिं-|| ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ताभा.४ ॥ श्रीचारित्रविजयगुरुभ्यो नमः॥ ८५७ ॥ अथ श्रीउपदेशचिंतामणिः सटीकः प्रारभ्यते ॥ . (कर्ता जयशेखरसूरिः) (चतुथों जागः) पावी प्रसिद्ध करनार---पंमित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा) अथ चतुर्थः सर्वविरत्यधिकारः प्रस्तूयते, तस्य च पूर्वेण सह संबंधगर्ना प्रस्तावनामाह ॥ मूलम् ॥ श्इ देसेणं विरई। भणिया इत्तोवि होइ कमणिला ॥ नवाणं सब विरई। सरलो मग्गो लिबपुरस्त ॥ १॥ व्याख्या-इति पूर्वोक्तरीत्या जणिता प्रतिपादिता मया देशेन विरतिः, श्तोऽस्या देशविरतेरपि सर्व विरतिर्नव्यानामासन्नमोक्षाणां कमनीया स्पृ. || हणीया जवति, यत श्यासितस्यानंतसुखास्पदस्य शिवपुरस्य सरल झजुः पंथाः. यथा हि For Private and Personal Use Only

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