Book Title: Tulsi Prajna 2003 10
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 39
________________ 1. रासायनिक प्रक्रिया ( Exothermic ) से तापमान बढ़ता है - जैसे 'जलना' । यह भाग लेने वाले पदार्थों के गुण पर निर्भर करते हैं। इसमें ताप व प्रकाश दोनों निकलते हैं। धीमे - जलने की प्रक्रिया में प्रकाश बहुत कम निकलता है। तीव्र जलने में या ज्वलनशील पदार्थों में वे 'गैस' अवस्था में तब्दील होकर जलते हैं, जिसे आग की लपटें कहते हैं । 2. घषर्ण से - इससे 'ताप' व चार्ज पैदा हो सकते हैं। क्या और कितना पैदा होगा ? यह घर्षण में भाग लेने वाले पदार्थों के गुण पर निर्भर करता है, जैसे चकमक का पत्थर । पत्थर की सतह का तापक्रम बढ़ता है। बादलों में आपसी घर्षण से बिजली का चार्ज पैदा होता है। दोनों हथेलियों के रगड़ने से उसका तापमान बढ़ जाता है। 3. ताप किरणों का सोखना : सूर्य की रोशनी और ताप को पृथ्वी सोखती है जब वह सूर्य के सामने होती है। इससे उसका तापमान बढ़ता है, खासकर ठोस व द्रव्य पदार्थों का। गैस पदार्थ का तापमान बढ़ता है conduction व convection (संवहन) क्रिया से ! पृथ्वी पर रखे सुचालक पदार्थों का तापमान जल्दी बढ़ जाता है। रात्रि में गर्म पृथ्वी अपनी गर्मी आकाश में emit करके अपने को वापिस ठंडी करती है। दिन के समय में भी गर्म व प्रकाशित पृथ्वी खुद आकाश में प्रकाश व ताप radiate करते हैं यानि सूर्य की किरणों को सोखकर, प्रकाश व ताप का केवल 'परावर्तन' किया जाता है, न कि ताप व प्रकाश का उत्पादन । इसी प्रकार सूर्य की किरणों को (Concave-reflection) नतोदर परावर्तक द्वारा घनीभूत किया जा सकता है। सूर्य चूल्हों में इस विधि से सूर्य की किरणों द्वारा खाना पकाया जाता है। इतनी गर्मी इकट्ठी की जाती है कि पानी को भाप में बदला जाता है। ये पदार्थ सचित्त- अग्निकाय के सीधे Contact ( संस्पर्श) में नहीं आते हैं, अतः सचित्त नहीं होते और न नतोदर - दर्पण 'ताप - प्रकाश' ऊर्जा पैदा करता है - केवल घनीभूत करता है, अत: (Concave Mirror) नतोदर दर्पण स्वयं भी सचित्त- अग्निकाय या चूल्हे की गिनती में नहीं आयेगा । "तापमान व तेउकाय किसी पदार्थ को केवल गर्म करने से ही उसमें तेउकाय के जीव पैदा नहीं होते हैं । वैसे परम शून्य तापक्रम (Absolute zero) की अपेक्षा हर पदार्थ गर्म है। यदि किसी पदार्थ (ठोस, द्रव्य, गैस) का तापक्रम हमारे शरीर के तापक्रम से ज्यादा है (37 डिग्री से.), तो हम उस पदार्थ को गर्म कहते हैं। यदि इस तापमान से कम है तो उस पदार्थ को ठंडा पदार्थ कहते हैं। लेकिन "तेउकाय जीव किसी पदार्थ के जलने पर ही पैदा होते हैं।" (लाल गर्म लोहा भी ते काय का जीव नहीं रखता है, जब तक वो प्राणवायु के साथ प्रक्रिया करके 'जलना' शुरू नहीं कर देता है । 38 Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा अंक 122 www.jainelibrary.org

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