Book Title: Tritirthi Author(s): Rina Jain Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 6
________________ प्रकाशकीय तीर्थ किसी भी धर्म व संस्कृति की परम्परा को जीवित रखते हैं समाज को अभ्युत्थान की ओर अग्रसर करने में अपना योगदान देते हैं। प्राचीन तीर्थों का इतिहास भावी पीढ़ियों के लिए दिव्य प्रकाश स्तम्भ के समान समस्त मानव समाज को सुख-शान्तिमय जीवन शैली की ओर प्रेरित करता है। यह प्रकाश जन-जन तक पहुँचे, इस उद्देश्य से हम तीर्थ परिचय की लघु पुस्तकों की एक शृङ्खला आरंभ कर रहे हैं। यह पुस्तक उस कड़ी की प्रथम पुस्तक है। धर्मप्रेमी व सुधी स्वाध्यायियों को तीन पावन लोकप्रिय तीर्थों की (शत्रुजय, गिरनार व शंखेश्वर) विशेष जानकारी इस पुस्तक के स्वाध्याय से प्राप्त होगी। विवरण, संक्षिप्त इतिहास तथा साधना पद्धति प्रस्तुत पुस्तक 'त्रि-तीर्थी' में उद्धृत है। यात्रा से पूर्व यदि तीर्थस्थल की भौगोलिक व ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त कर ली जाए तो यात्रा सहजता से शुद्ध भावप्रधान हो जाती है। जिस वस्तु से हमारा परिचय होता है या हम जिसे जानते हैं, उससे मन का एक अद्भुत रिश्ता हो जाता है। जिसे हम मोह या राग कह सकते हैं। इस पुस्तक में तीनों तीर्थों के मूलनायक भगवान आदिनाथ, नेमिनाथ व पार्श्वनाथ के जीवन तथा तीर्थों से जुड़ी सर्वमान्य कथाएँ संकलित की गई हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य तीर्थयात्रा के समय श्रद्धापूर्वक पठन सामग्री उपलब्ध करवाना है। आज के युवा, जिन्हें जानने की इच्छाएँ तो बहुत होती हैं, किन्तु क्लिष्ट भाषा में उपलब्ध साहित्य के कारण वे इन जानकारियों से वंचित रह जाते हैं, विशेषकर उनके लिए संक्षेप में तीनों तीर्थों (शत्रुजय, गिरनार, शंखेश्वर) की जानकारी प्रस्तुत है। प्रकाशन से जुड़े सभी सहभागियों को हार्दिक धन्यवाद! देवेन्द्रराज मेहता संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक प्राकृत भारती अकादमी, जयपुरPage Navigation
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