Book Title: Tirthankar 1977 11 12
Author(s): Nemichand Jain
Publisher: Hira Bhaiyya Prakashan Indore

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Page 172
________________ समाचार : शीर्षक-रहित; संक्षिप्त, किन्तु महत्त्वपूर्ण -जैन विश्व भारती, लाडनूं (राज- गुजराती संस्करण के प्रकाशन पर जोर स्थान) के तत्त्वावधान में आचार्य श्री दिया। मनि श्री हस्तीमलजी और जयन्ततुलसी के ५३ वें दीक्षा-दिवस के उपलक्ष्य विजयजी 'मधुकर' के सारगभित प्रवचन में त्रिदिवसीय (३० दिसम्बर, ७७ से हुए। १ जनवरी.७८) 'जैन पत्र-पत्रिका' प्रद- -जवाहर विद्यापीठ कानोड़ (उदयपुर) शनी' का आयोजन किया जारहा है, जिसका तथा जैन शिक्षण संघ के संस्थापक-संचालक मुख्य उद्देश्य पत्र-पत्रिका-जगत् में जैन पत्र- पं. उदय जैन का असामयिक निधन गत पत्रिकाओं के महत्त्वपूर्ण योगदान को जनता २७ नवम्बर को हृदयगति रुक जाने से के सामने प्रकट करना है। प्रदर्शनः वः हो गया। उनके द्वारा संस्थापित संस्थाओं हो। संयोजक श्री रामस्वरूप गर्ग, पत्रकार है। में बालमन्दिर से लगाकर महाविद्यालय ___ -श्रीमद राजेन्द्रसूरीश्वर की जन्म- की शिक्षा दी जाती है। सार्द्ध शताब्दी के उपलक्ष्य में अ. भा. श्री . -सुख्यात लेखक, विचारक और संपादक राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद की ओर से श्री जमनालाल जैन की द्वितीय सुपुत्री गत ३० नवम्बर को रतलाम में मुनिश्री श्री रेखा का शुभ विवाह गत २२ नवम्बर जयन्तविजयजी 'मधकर' के सानिध्य में को प्रमुख सर्वोदय-कार्यकर्ता श्री मणिलाल 'श्री राजेन्द्र ज्योति' नामक बृहद् ग्रन्थ का संघवी के सुपुत्र श्री दिनेश के साथ नालपुर विमोचन-समारोह संपन्न हुआ। (कच्छ) में अत्यन्त सादगीपूर्ण वातवरण इस अवसर पर डॉ. नर्मःचन्द जैन ने में संपन्न हुआ। दोनों पक्षों की ओर से 'अभिधान राजेन्द्र' कोश की बढ़ती मांग .. ता माग अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया गया। को देखते हुए इसके हिन्दी, अंग्रेजी और →समारोह का उद्घाटन करते हुए श्री पं. मुनिश्री रामनिवासजी महाराज के मिश्रीलाल गंगवाल ने कहा कि सन्त का मंगलाचरण से प्रारंभ हुए समारोह में जीवन समाज, राष्ट्र और विश्व-मानवता श्री हस्तीमल झेलावत ने 'जैन दिवाकर के हित में समर्पित होता है। इस शताब्दी- विद्या निकेतन' की रूपरेखा प्रस्तुत की। महोत्सव के प्रसंग पर हम अपने जीवन की श्री योगेन्द्र कीमती ने अध्यात्मिक गीत विकृतियों को दूर करने का संकल्प करें। प्रस्तुत किया। समारोह का संचालन श्री सत्कर्म द्वारा ही हम उनके जीवन को आत्म- फकीरचन्द मेहता ने किया। सात् कर सकेंगे। जैन दिवाकर जन्म-शताब्दी-समारोह इस अवसर पर जैन दिवाकरजी के सुशिष्य के महत्त्वपूर्ण चरण के रूप में इन्दौर के कविवर्य श्री केवल मुनि महाराज को 'धर्म- पूर्वी क्षेत्र (न्यू पलासिया) स्थित भूखण्ड विभूषण' की उपाधि से अलं त किया गया। पर 'जैन दिवाकर विद्या निकेतन' को मालव-केशरी मनि श्री सौभाग्यमलजी स्थापना की जा रही है, जिसकी भूमिमहाराज ने इस अलंकरण की घोषणा की। पूजन-विधि श्री सगनमल भंडारी की अध्यइस अध्यात्मिक सम्मेलन में मुनिश्र मोहन- क्षता में गत १ दिसम्बर को श्री सागरमल लालजी 'शार्दूल और मनिश्रः यतीन्द्र बेताला तथा श्रीमती सुशीलाबाई बेताला विजयजी महाराज ने भी जैन दिवाकरजी द्वारा संपत्र की गयी। इस प्रकार श्री केवल के जीवन पर प्रकाश डाला। समारोह की मुनि की प्रेरणा और श्री फकीरचंद मेहता अध्यक्षता श्री सुगनमल भंडारी ने की। आदि के प्रयत्न से योजना का शुभारंभ हुआ। १६८ तीर्थंकर : नव. दिस. १९७७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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