Book Title: Tirthankar 1977 11 12
Author(s): Nemichand Jain
Publisher: Hira Bhaiyya Prakashan Indore

View full book text
Previous | Next

Page 194
________________ जैन परम्परा में ध्यान : इतिहासिक द गिफ्ट ऑफ लव्ह (अंग्रेजी) : डा. विश्लेषण : मनि नथमल : (१) जनवरी- जे. सी. जैन, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ८२ फरवरी, १७ ; (२) मार्च, पृ. ११; (३) ___दो सहयात्री : लाभ और लोभ : मई, अप्रैल, पृ. २३ आवरण-पृ. ४ जैन युवा करें क्या ? (खिड़की-पाठकीय धर्म में मोड़ (आया क्या ?,वीर-निर्वाणमंच), जुलाई, पृ. ३ परिचर्चा) : जमनालाल जैन, दिसम्बर, __ जैनविद्या संगोष्ठियाँ : विवरण और पृ. ३४ . मूल्यांकन : डा. कमलचन्द सोगानी, डा. ___नन्दीसेन (पुराण-कथा) : गणेश ललप्रेमसुमन जैन, दिसम्बर, पृ. २२ वानी, सितम्बर, पृ. १७ जैन साहित्य : १९७४-७६ (अनु- ___ नव्य भारत की एक संस्कार लक्ष्मी क्रमण): दिसम्बर, पृ. ५१; पूरक अनु- शुभश्री रमा जैन : वीरेन्द्रकुमार जैन, क्रमणी, अप्रैल, पृ. ५५ मई, पृ. २१ ज्ञान : पठित और ज्ञात : महात्मा नाम में क्या रखा है (मेहमान एक भगवानदीन, अगस्त, पृ. १७ क्षण) : जयकुमार जलज, अक्टूबरतत्त्वार्थ सूत्र : मूलवाचक-उमास्वाति, नवम्बर, पृ. ३ विवेचक-पं. सुखलाल संघवी, संपा. डा. निजता का अन्वेषी गायक-वीरेन्द्रकुमार मोहनलाल मेहता, जमनालाल जन, जैन : रामनारायण उपाध्याय, मई, प. ४७ (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ८५ निःकांक्षा : आँखों की आँख : जुलाई, ताजमहल (काव्य-संग्रह) : कन्हैयालाल आवरण-प. ४ सेठिया, (समीक्षा), अगस्त, पृ. ४७ निर्माण : नये सिरे से (१) संपादकीय, तीन कविताएँ : अनन्तकुमार पाषाण, दिसम्बर. प. ३ अगस्त, पृ. ७ निर्ग्रन्थ (कविता-संकलन) : कन्हैयातीर्थंकर भगवान महावीर (३५ चित्रों . लाल सेठिया, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ.८४ का संपुट) : लेखक-संयोजक : मुनि । निर्ग्रन्थ (पुस्तक-परिचर्चा) : अप्रैल, यशोविजय, (समीक्षा), जून, पृ. ३८ । पृ. ५९ __ तीर्थंकर महावीर (महाकाव्य) : डा. निर्वाण : एक छानबीन (१) कन्हैयाछैलबिहारी गुप्त, (समीक्षा), अप्रैल, लाल सरावगी, अगस्त, पृ. ३७; (२) : पृ.७० सितम्बर, पृ. २२ तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदयतीर्थ : डा. हुकुमचन्द भारिल्ल, (समीक्षा), निर्वाणोत्सव : आधुनिकता-बोध का जून, पृ. ३७ मंगलाचरण : ‘प्रलयंकर', दिसम्बर, पृ. १० ___ तीसरा आदमी (बोधकथा) : यशपाल निर्वाण-वर्ष की साहित्यिक उपलब्धियाँ : जैन, जुलाई, पृ. ६ एक विहंगावलोकन : डा. प्रेमसुमन जैन, ___ तुझे मरना है | तू अमर है (बोधकथा): । नेमिचन्द पटोरिया, मई, आवरण-पृ. २ निर्वाण : स्थिति या दशा नहीं ? डा. तोल, फिर बोल : विक्रमकुमार जैन, देवेन्द्रकुमार शास्त्री, अक्टूबर-नवम्बर, मई, पृ. २० पृ. २५ द की ऑफ नॉलेज (अंग्रेजी) : बैरिस्टर नीलांजना (पुराण-कथा) : गणेश चम्पतराम, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ८८ ललवानी, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. १२ __ तीर्थंकर : नव. दिस. १९७७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202