Book Title: Tirthankar 1977 11 12
Author(s): Nemichand Jain
Publisher: Hira Bhaiyya Prakashan Indore

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Page 183
________________ तीन काँटे : आशा तृष्णा, उच्छृंखलता : भगवान् महावीर ने कहा था, जुलाई, आवरण-पृ.४ तीर्थंकर महावीर : मधुकर मुनि, रतन मुनि, श्रीचन्द सुराना 'सरस', (समीक्षा), जनवरी, पृ. ३३ तीर्थंकर महावीर : डा. देवेन्द्रकुमार शास्त्री, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ४२ तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा ( चार खण्ड) : स्व. डा. नेमिचन्द्र शास्त्री ज्योतिषाचार्य, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ४० तीर्थंकर वर्धमान महावीर : पद्मचन्द शास्त्री, (समीक्षा), अक्टूबर, पृ. ३३ सर्वोदय-मार्ग : डा. (समीक्षा), अप्रैल, तीर्थंकरों का ज्योतिप्रसाद जैन, पृ.४२ तीसरा स ंदर्भ : संपादकीय, सितम्बर, दिव्य पुरुष: साध्वी चन्द्रावती, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ३३ देवगढ़ की जैनकला : डा. भागचन्द्र जैन, (समीक्षा), मार्च, पृ. ३१ देवाधिदेव भगवान् महावीर (गुजराती), मुनिराज श्री तत्त्वानन्दविजयजी, (समीक्षा), मार्च, पृ. ३३ देह और विदेह, साधना का मार्ग तो पानी बिच मीन पियासी, अनासक्ति का ऑक्सीजन (बोधक) : देवेन्द्र मुनि शास्त्री, दिसम्बर, पृ. ३ दोष कहाँ, रोष कहाँ ( बोधकथा ) : नेमीचन्द पटोरिया, नवम्बर, पृ. १ धर्म: निराकुलता की जननी : उपाध्याय मुनि विद्यानन्द, अक्टूबर, पृ. ३ चौ. ज. श. अंक धर्म और दर्शन (टिप्पणी) : (श्रीमती) आशा मलैया, अगस्त, पृ. २८ पृ.७ त्याग २,भोग १, : माणकचन्द कटारिया, कथा ) अगस्त, पृ. ९ दान की कहानी : महात्मा भगवानदीन, दिसम्बर, पृ.१५ Jain Education International ध्यान और सामायिक : आचार्य रजनीश, जुलाई, पृ. ३ नमः समयसाराय, ज्ञान- सिन्धु से ( कविता ) मिश्रीलाल जैन, सितम्बर, : पृ.६ नयी किरण, नया सवेरा (उपन्यास) : मिश्रीलाल जैन, (समीक्षा), जुलाई, पृ. ३१ निर्ग्रन्थ निमाई ( बोधकथा ) : नेमीचन्द पटोरिया, जनवरी, आवरण-पृ. २ निर्वाण ( कविता ) : वीरेन्द्रकुमार जैन, नवम्बर, पृ. ५ निर्वाण की अनुभूति : श्री अरविन्द, नवम्बर, पृ.११ निर्वाण है स्वस्थ होना : भानीराम 'अग्निमुख', नवम्बर पृ. १३ नीति पहले, राजनीति बाद में (बोधनेमीचन्द पटोरिया, जनवरी, आवरण-पृ. ३ नीलामी धर्मचक्र की : संपादकीय, अक्टूबर, पृ. ६ नौकाओं की चिंता ( कविता ) : भवानीप्रसाद मिश्र, मार्च, पृ. ५ पर्युषण - उ - उत्तमता का खोज-पर्व : डा. नेमीचन्द जैन, सितम्बर, पृ. ११ पश्चिमी दर्शन का इतिहास ( त्रिचराणिकाएँ) : डा. सुरेन्द्र वर्मा, अक्टूबर, आवरण-पृ.२-३ पाप प्रसन्न है ! : माणकचन्द कटारिया, जून, पृ. ११ पावा : दलील सही, दलील गलत : कन्हैयालाल सरावगी, मई, पृ. २८ पास रखिये; उसे जो करे आपकी निन्दा : डा. कुन्तल गोयल, फरवरी, पृ. २९ प्रतिलेखन - सतत् जागरूकता का सूत्र : भानीराम 'अग्निमुख' जनवरी, पृ. १६ For Personal & Private Use Only १७९ www.jainelibrary.org

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