Book Title: Tattvarthadhigam Sutra Part 02
Author(s): Udayprabhvijay
Publisher: Keshar Chandra Prabhav Hem Granthmala

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Page 357
________________ ३२५ . तत्त्वार्थाधिगमसूत्राणां बीजभूत “आगम सूत्राणि" . परिशिष्ट-५ चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इन्दधणू उदगमच्छा कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा णगरा धरा पव्वता पायाला भवणा निरया रयणप्पहा सक्करप्पहा वालुअप्पहा पंकप्पहा धूमप्पहा तमप्पहा तमतमप्पहा सोहम्मे जाव अच्चूए गेवेज्जे अणुत्तरे ईसिप्पभाए परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणंतपएसिए, से तं साइपरिणामिए। से किं तं अणाइपरिणामिए ? धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पुग्गलत्थिकाए अद्धासमए लोए अलोए भवसिद्धिआ अभवसिद्धिआ, से तं अणाइपारिणामिए। से तं पारिणामिए। (अनुयोगद्वार सूत्र षट्भावाधिकार) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ८ उवओगलक्खणे जीवे। (भगवती सूत्र शत. - २, उद्देश - १०) जीवो उवओगलक्खणो। (उत्तराध्ययन सूत्र अध्ययन - २८, गाथा - १०) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - १ कतिविहे णं भंते ! उवओगे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, तं जहा - सागारोवओगे, अणागारोवओगे य॥१॥ सागारोवओगे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! अट्ठविहे पण्णत्ते। (प्रज्ञा. सूत्र पद - २९) अणागारोवओगे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते। (प्रज्ञा. सूत्र - २९) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - १० संसारसमावन्नगा चेव असंसारसमावन्नगा चेव॥ (स्था. स्थान - २, उद्दे. - १, सूत्र - ४९) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ११ दुविहा नेरइया पण्णत्ता - तं जहा - सन्नी चेव असन्नी चेव, एवं पंचेदिया सव्वे विगलिंदियवज्जा जाव वाणमंतरा वेमाणिया। ( स्था. स्थान - २, उद्दे. - १, सूत्र - ७९) तत्त्वार्थसूत्र अध्याय - २, सूत्र - ११ तसच्चेव थावराच्चेव। (स्था. स्थान - २, उद्दे. - १, सूत्र - ४९) ध्याय - २, सूत्र - १३ पंच थावरकाया पण्णत्ता, तं जहा - इंदे थावरकाए (पुढवीथावरकाए) बंभेथावरकाए (आऊथावरकाए) सिप्पे थावरकाए (तेऊ थावरकाए) संमती थावरकाए (वाऊथावरकाए) पाचावच्चेथावरकाए (वणस्सइथावरकाए)। (स्था. स्थान - ५, उद्दे. - १, सूत्र - ३९४)

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