Book Title: Tattvarth Varttikam Part 02
Author(s): Akalankadev, Mahendrakumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 12
________________ ७४१ [ १२ ] मूल पृ० हिन्दी पृ० मूल पृ० हिन्दी पृ० देशव्रतका स्वरूप ५४७ ७३४ विवाहका लक्षण ५५४ ७३६ अनर्थदण्डविरतिका स्वरूप ५४७ ७३४ परिग्रह परिमाणाणुव्रतके अतिचार ५५५ ७३६ सामायिक व्रत ५४८ ७३४ दिग्वतके अतिचार ५५५ ७३३ प्रोषधोपवासका स्वरूप ५४८ ७३४ इच्छा परिमाणसे दिग्वतका भेद ५५५ ७३६ उपभोग-परिभोगका स्वरूप ५४८ ७३४ देशव्रतके अतिचार ५५६ ७४० अतिथिका लक्षण ५४८ ७३५ अनर्थदण्डविरतिके अतिचार ५५६ ७४. दिशादिकी मर्यादाके बाहर महाव्रतत्व ५४८ ७३५ अधिकरणके तीन भेद ५५६ ७४० पाँच अनर्थदण्ड ५४६ ७३५ उपभोग परिभोग व्रतसे इसका भेद ५५६ ७४० अपध्यानका स्वरूप ५४६ ७३५ सामायिकवतके अतिचार पापोपदेशका स्वरूप ५४६ ७३५ प्रोषधोपवासके अतिचार ५५७ ७४० क्लेश वणिज्याका स्वरूप ५४६ ७३५ उपभोगपरिभोगपरिमाणवतके अतिचार ५५८ ७१ तिर्यग्वणिज्याका स्वरूप ५४६ ७३५ अतिथिसंविभागवतके अतिचार ५५८ षधकोपदेशका स्वरूप ५४६ ७३५ सल्लेखनाके अतिचार ५५८ ७४१ श्रारम्भकोपदेशका स्वरूप ५४६ ७३५ दानका लक्षण ७११ प्रमादाचरितका स्वरूप ५४६ ७३५ विधि द्रव्य दाता और पात्रकी अपेक्षा . हिंसाप्रदानका स्वरूप ५४६ ७३५ दान में विशेषता अशुभश्रुतिका स्वरूप ५४६ ७३५ क्षणिक और नित्यपक्ष में दानकी उपवासके दिन स्नानादिका त्याग ५४६ ७३५ विशेषता नहीं बन सकती ५६० ७४२ भोगपरिसंख्यान प्रसघात प्रमाद आदि के कारण ५५० ७३६ आठवाँ अध्याय भिक्षा उपकरण औषधि और श्राश्रयके मिथ्यादर्शन आदि बन्धके कारण ५६१ ४३ भेदसे चार प्रकारका अतिथि मिथ्यादर्शनका मिथ्यात्वक्रिया में अन्तर्भाव ५६१ ७४३ संविभाग ५५० ७३६ प्रमादका लक्षण ५६१ ७४३ सल्लेखनाका विवरण ५५० ७३६ नैसर्गिक मिथ्यादर्शन ५६१ ७४३। नित्यमरण और तद्भवमरण ५५० ७३६ परोपदेशनिमित्तक मिथ्यादर्शनके जोषिता पदका प्रयोजन ५५० ७३६ चार प्रकार ५६१ ७४३ सल्लेखना आत्मवध नहीं ५५० ७३७ __ अक्रियावादी८४ ५६२ ७४३ सल्लेखनाकी विधि ५५१ ७३७ क्रियावादी १८० ५६२ ७४३ सम्यग्दर्शनके अतिचार ५५१ ७३८ आज्ञानिक ६७ ५६२ ७४३ प्रशंसा और संस्तवका परस्पर भेद ५५२ ७३८ वैनयिक ३२ ५६२ ७४३ अंग अाठ होने पर भी अतिचार : यज्ञमें होनेवाला पशुवध धर्म नहीं ५६२ ७४३ पाँच ही क्यों ? ५५२ ७३८ मन्त्रपूर्विका हिंसा भी धर्म नहीं ५६३ ७४४ व्रत और शीलोंके भी पाँच अतिचार ५५३ ७३८ मिथ्यादर्शनके एकान्त विनय संशय व्रत और शीलमें भेद ५५३ ७३८ श्रादि पाँच भेद ५६४ ७४५ अहिंसाणुव्रतके अतिचार ५५३ ७३८ अष्टविध संयम । ५६४ ७४५ सत्याणुवतके अतिचार ५५३ ७३८ अविरति और प्रमादमें भेद ५६५ ७४६ अचौर्याणुव्रतके अतिचार ५५४ ७३६ कषाय और अविरतिमें कार्यकारणभाव ५६५ ७४६ ब्रह्मचर्याणुवतके अतिचार ५५४ ७३६ बन्धका लक्षण ५६५ ७५६

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