Book Title: Tattvamukta Kalap and Sarvarthasiddhi with Ananddayini and Bhavapraksa
Author(s): D Srinivasachar, S Narsimhachar
Publisher: D Srinivasachar, S Narsimhachar
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प्रमाणबचनम् अदितिः पाशान् अंदृश्यत्वादि अदृष्टतत्वो अद्भयोग्निः अध्यवसाय
....
344
.... 159
95 252
पुटम् | प्रमाणवचनम्
अन्योन्यानु अन्वय्यात्मा अप एव ससर्जादौ अपदुस्सुषु स्थः
अपरिग्रहाचा 98
अप्राप्तयोस्तु अप्राप्तिपूर्विका अपिचाशेषनित्यत्वे अपि तु देवपुत्र | अबावृत अभिप्रायवशा अभिमानो
अध्यवसायो
114
304
....
423
156
326
अध्यारोप्य अनक्षरस्य अन्तःकरणम् अन्तर्भवित अन्तर्भूत अन्तस्तद्धर्मों अन्धः कूपे अन्नभयं हि
116
389 .... 193
.... 319
अन्नमशितम् अनन्तस्य नत अनुत्पत्तिं च अनुपल्लव
83 अभिसंबुद्ध .... 443
| अभूतं ख्याप 547 | अभेदाध्यव .... 183 .... 214 , .... 330/ अभेद्यः परमाणु:
| अयमेव त्वह | अयोग्यत्वं तिरो | अर्थः प्रत्याय्य
अर्थेनैव 344 | अर्पितानर्पित 315 अलातचक्र 379 अलातं मृग
अवयव्यर्थान्तर 290 | अवश्याभ्युप
.... 320 ..... 353 .... 233 .... 456
293
अनुमान
अनुस्मृतेश्च अनेकव्यक्तयन्वय अन्यच्चेद्विकलं अन्यथास्वपर अन्यानन्तरभावेऽपि अन्यारादितरर्ते अन्योन्या
.... 375 ..... 54 .... 166 .... 59
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