Book Title: Tattvamukta Kalap and Sarvarthasiddhi with Ananddayini and Bhavapraksa
Author(s): D Srinivasachar, S Narsimhachar
Publisher: D Srinivasachar, S Narsimhachar

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Page 726
________________ 656 345 155 61 379 .... प्रमाणबचनम् अदितिः पाशान् अंदृश्यत्वादि अदृष्टतत्वो अद्भयोग्निः अध्यवसाय .... 344 .... 159 95 252 पुटम् | प्रमाणवचनम् अन्योन्यानु अन्वय्यात्मा अप एव ससर्जादौ अपदुस्सुषु स्थः अपरिग्रहाचा 98 अप्राप्तयोस्तु अप्राप्तिपूर्विका अपिचाशेषनित्यत्वे अपि तु देवपुत्र | अबावृत अभिप्रायवशा अभिमानो अध्यवसायो 114 304 .... 423 156 326 अध्यारोप्य अनक्षरस्य अन्तःकरणम् अन्तर्भवित अन्तर्भूत अन्तस्तद्धर्मों अन्धः कूपे अन्नभयं हि 116 389 .... 193 .... 319 अन्नमशितम् अनन्तस्य नत अनुत्पत्तिं च अनुपल्लव 83 अभिसंबुद्ध .... 443 | अभूतं ख्याप 547 | अभेदाध्यव .... 183 .... 214 , .... 330/ अभेद्यः परमाणु: | अयमेव त्वह | अयोग्यत्वं तिरो | अर्थः प्रत्याय्य अर्थेनैव 344 | अर्पितानर्पित 315 अलातचक्र 379 अलातं मृग अवयव्यर्थान्तर 290 | अवश्याभ्युप .... 320 ..... 353 .... 233 .... 456 293 अनुमान अनुस्मृतेश्च अनेकव्यक्तयन्वय अन्यच्चेद्विकलं अन्यथास्वपर अन्यानन्तरभावेऽपि अन्यारादितरर्ते अन्योन्या .... 375 ..... 54 .... 166 .... 59 328

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