Book Title: Tattvamukta Kalap and Sarvarthasiddhi with Ananddayini and Bhavapraksa
Author(s): D Srinivasachar, S Narsimhachar
Publisher: D Srinivasachar, S Narsimhachar

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Page 736
________________ प्रमाणवचनम् पारम्पर्येण पर्याय एवं पर्ययज पश्चाद्वजन्तो पातालदेशाः पारमार्थ्यं विना पिशाच इव पुनरपरं तत्वे पुमान् स्त्रिया पुराणकारस्य पुरुषस्य दर्श पुंसो ज्ञकर्तृ पूर्ववच्चैष पूर्ववद्वा पूर्वसम्बन्ध पूर्वसंविदिता पूर्वपर्यनुयो पूर्वाभिमुखे पूर्वाभिमुखं पूर्वोक्तन पूर्वं नैव स्वभावतः पृथक्प्रतिपत्ति पृथ्व्यादिपञ्च पृथिवी वायुः पृथिवी शरीरं पृथिव्यासु य " " 666 पुटम् प्रमाणवचनम् 379 पृथिव्यप्सु लीयते 165 | पृथ्व्यादिषु 582 | पृथिव्यै शरीरं 583 | पैतामहंच 604 पौलिशकृतः 422 पौलिशरोमक 83 प्रकृतिप्रभवं 192 प्रकृतिपुरुष प्रकृतिविकृतयः प्रकृतेः 291 605 133 150 266 " 223 प्रख्याप्रवृत्ति "" "" 419। प्रतिदिनमधः 320 प्रतिविषयाध्यव 336 प्रतिपुरुषभि 369 प्रतिभिन्नसमे 590 प्रत्यक्षण विरुद्धश्च 587 | प्रत्येतव्यस्य 282 प्रधानं तत्वमु 413 314 प्रधाने भाग 150 प्रध्वंसो भवति 177 प्रबोधभयतो 255 प्रभाभास " • 153 प्रमाणं कारणं 155 प्रमातृप्रमेययोः 171 "" .... .... .... पुटम् 440 290 255 611 612 612 95 214 124 101 213 276 458 285 592 266 461 196 414 79 153 159 316 375 94 544 81 69 356

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