Book Title: Tattvamukta Kalap and Sarvarthasiddhi with Ananddayini and Bhavapraksa
Author(s): D Srinivasachar, S Narsimhachar
Publisher: D Srinivasachar, S Narsimhachar
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प्रमाणवचनम्
प्रथमे श्रवणादिति
प्रवर्तते त्रिगुणतः प्रसिद्धद्रव्य
प्राक्सत्त्वं
प्राणेनैति कलां
प्राणगतेश्च
प्राणाद्वायुः
प्राणापानसमा
प्रादयो गता
प्राप्य साध्यम
प्रीत्यप्रीतिविषादा
फलं तत्रैव
फेनपिण्डोपम
बहुफलमिदं.
बलवद्वाधका
बहुस्यां
बहुस्यां
बह्वयस्स्याम
बाघाबाधा
बाधिता च स्मृतिः
"
फ
बाध्यबाधक
बालैर्विकल्पिता ह्येते
बिभ्राणः पर
""
बुदेरगोचर बुद्ध्याऽवसीयते
व
....
****
....
****
667
पुटम्
प्रमाणवचनम्
181 | बुद्धया विवेच्यमा
290
33
567 ब्रह्माचार्यो
316 | ब्रह्माक्षा
586 त्रह्मोक्तंग्र
473 | ब्रूयात्तत्तस्य 535 वोध्यत्वादिक्षते
546
376 | भचक्रध्रुव
227
भसञ्जरस्य
131
381
59
33
भागोऽष्टमस्त्र
भानामधः
>:
भारं वो भिक्षवो 607 भादध्वंसात्मनो 475भावस्वतस्त्रो 177 भावाय सर्व
424 भासमानः किमात्मा
177 | भावे हेत्वान्तरैः
157 भिन्नाभिन्नत्व
157 भिन्नांशपू.
344 | भुञ्जीत तैजसे
328 | भूग्रहभानां
329
582 भगोल: कादम्बो
601 | भूगोलान्तः
"
भ
192 | भूततन्मात्र
299 | भूतार्थभा
पुटम्
328
419
610
619
612
85
408
582
586
589
210
582
583
29
375
197
582
327
324
299
316
565
583
588
603
606
464
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