Book Title: Tattvamukta Kalap and Sarvarthasiddhi with Ananddayini and Bhavapraksa
Author(s): D Srinivasachar, S Narsimhachar
Publisher: D Srinivasachar, S Narsimhachar

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Page 740
________________ 670 प्रमाणवचनम् या दृष्टास्मीति युगपञ्चतुष्टय युगपत् ज्ञाना युगपादान्या युगरविभ 583 102 येनात्मना पश्य योगाभ्यासविशेषा योजनशतानि यो यत्र तिष्ठत्य योपि तावत्परा यो हि भावः प्रमाणव वनम् रूपाद्यायतनास्ति 329 रूपान्तरं तद्दिज 535 रोमकं चेति 611 | रोमकं राम कायोक्तम् ___.... 611 606 लङ्कासय ..... 586 लिङ्गागमनिरा .... 337 लोकावतारणा .... 60 329 588/ लोकविरुद्ध 607 195| लोकसंवृति .... 192 334 592 | वक्ष्यामो यो .... 334 वर्तनापरिणा 164 | वत्सविवृद्धिानिमित्तं 176 वरवशेन .... 589 वण्यते हि स्मृति .... 334 वर्षाधिपतयः .... 595 वसुधाना .... 600 607 | वसुन्धरा .... 595 वस्तुतस्तु निरालं 323 वस्तुत्वं यत्र | वस्तुनो जायते | वस्तुरूप 370 94 .... 319 121 वस्तुरूपानु 370 239 वस्तुस्वभाव 480 वस्त्वनन्तरभा राजसूयाय राहुःकुभा राहुकृतं राहुग्रस्ते On .... 375 ... 375 राहुरकारण रूपातिशया रूपादित्वमती रूमादिभेदमि रूपादिव्यति रूपादिषु पञ्चा रूपादीनामाचित्रे रूपाद्यायतनास्ति .... 270

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