Book Title: Tattvagyan Mathi Author(s): Shrimad Rajchandra, Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram View full book textPage 4
________________ अनुक्रमणिका गद्य विभाग - नंबर विषय १ पुष्पमाळा २ महानीति ३ वत्रीस योग ४ स्मृतिमा राखवा योग्य महावाक्यो ५ वचनामृत थोडा वाक्यो प्रमादने लीधे आत्मा० ८ अनंतानुवधी क्रोध ९ नीचेना दोप न आववा जोईए १० कर्म ए जड वस्तु छे० ११ कर्मगति विचित्र छे निरंतर मैत्री, प्रमोद० १२ वीजु काई गोघ मा० १३ निरावाधपणे जेनी मनोवृत्ति वह्या करे छे० १४ भाई, आटलु तारे अवश्य करवा जेवु छे० १५ समजीने अल्पभाषी थनारने० ir m x two ७२Page Navigation
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