Book Title: Tattva Nyaya Vibhakar
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Labdhisuri Jain Granthmala
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सटीकतखन्यायविभाकरस्य
[ प्रथमभागे
....
..
विषयाः :.. पृ. पं. |
विषयाः : पृ. पं. ५५२ संक्रमयोग्यप्रकृत्यभिधानम... १५१ १२ ५७३ मानादिनां प्रतिपन्नस्य विशेष .. ५५३ अपूर्वस्थितिबन्धस्वरूपम्..... १५१ २१ - प्रदर्शनम्.......... ... ... १५६. . १ ५५४ गुणस्थानस्यास्यकालमानम् १५१, २४ | ५७४ किहिवेदनाद्धावर्णनम् ... १५६ ५
५७५ कदा क्षीणकषायो भवतीत्य- .:. त्वाभ्यां वैविध्यसमर्थनम्.... १५१ | स्य प्रकाशनम्... . ... ..... १५७ १९ ५५६ अध्यवसायस्थानानामनुक्षण
५७६ क्षीणकषायाद्धाया चरमसंख्ये- .:' ... मधिकाधिकत्ववर्णनम् .. ... १५१ यभागे कर्त्तव्यप्रकटनम् ... १५७. ५५७ क्षपकश्रेणिजतिपत्कृप्रदर्शनम् १५२ | ५७७ केवलीभवनवर्णनम् ....... १५८ ५५८ अनन्तानुबन्धिनां विसंयोज
५७८ उपशमश्रेणिप्रारम्भककथनम् १५८ नायाः वर्णनहेतुः:. .... ....१५२ १४ | ५७९ तत्र मतान्तरप्रदर्शनम् ... १५८ ४ ५५९ तहिसंयोजकानां वर्णनम् ... १५२
५८० अनन्तानुबन्ध्युपशमनानिरू५६० अनन्तानुबन्धिनां क्षपणाय यो..
पणम् ....... ..... ... ... १५८ - ५ ___ग्यकरणामिधामम्. .... ....१५२ . १८
५८१ उपशमनास्वरूपम् ... ... १५८ २० ५६१ उछलनासंक्रमाभिधानम्. .... १५३
५८२ मतान्तरेणानन्तानुबन्धिनां वि५६२ प्राप्तामिवृत्तिकरणकृत्यम् .... १५३ ५६३ दर्शनमोहनीयक्षपणारम्भक-. . .
___ संयोजनैवेतिवर्णनम् ... ... १५८ २३ प्रदर्शनम्... ... ... ... १५३
| ५८३ दर्शनत्रिकोपशमनांनिरूपणं ५६४ तत्रानिवृत्तिकरणादायां कर्त्त
- तदधिकारिवर्णनञ्च ... ... १५९ -१ .. व्यवर्णनम् ..... ... ...
५८४ चारित्रमोहोपशमनावर्णनम् १५९ ९ ५६५ बछायुषः क्षपकश्रेण्यारम्भे ।
| ५८५ लोभवेदनाद्धाया विभागत्रयविशेषवर्णनम् ... ........
. वर्णनम् ... ... ... ... १६० ५६६ अबद्धायुमस्तथात्वे चारित्र-...
५८६ उपशान्तमोहात्पतने हेतुद्वय मोहनीयक्षपणारम्भस्य नि
- प्रदर्शनम्... ... ... ... १६० यम इति वर्णनमः... ... ... १५४ ३
५८७ गुणस्थानेऽस्मिन् कर्मणां ब५६७ करणविशेषाणां तत्राभिधानम् १५४ ३
न्धवेदनासत्तानां वर्णनम् ... १६१ ३ ५६८ षोडशकर्मक्षपणविषये मत
५८८ नवमगुणस्थानस्वरूपम् . ... १६१ ८ .. मेद: ... ... ... ... १५४ .
| ५८९ तदर्थवर्णनम् ...... ... ... १६१ १४ ५६९ ततो नवनोकषायक्षपणवर्ण- . . ५९० अक्षपकेण क्षीयमानकर्मप्रकृ- .: नम्............. ...... ... १५४
तिवर्णनम् ... ... ... ... १६१ २३ ५७० स्पर्धकवर्णनम्... .... ... १५५ ५ ५९१ उपशमकेनोपशम्यमानकर्मप्र५७१ किट्टिकरणाचानिरूपणे किट्टि
कृतिवर्णनम् ... ... ... १६२ . २ - स्वरूपवर्णनम् ... .. ... .१५५ . २१ / ५९२ अत्र कर्मणां. बन्धवेदनासत्ता५७२ स्थूलजातिभेदापेक्षया किट्टी-... | नां प्रदर्शनम् ... ... ... १६२ ३
नां द्वादशधा कल्पनप्रदर्शनम् १५५ . २४ / ५९३ दशमगुणस्थानस्वरूपम् ..... १६२ ९

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