Book Title: Tattva Nyaya Vibhakar
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Labdhisuri Jain Granthmala

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Page 26
________________ सप्तमः किरण: ] विस्तरतो विषयानुक्रमः । : १५ : विषयाः पृ. पं. विषयाः पृ. पं. ६८९ सपदकृत्यं तल्लक्षणम् ... १७९ १९. २२ ७१९ श्रतद्वारविचार: :.... ६९० सप्रभेदं चारित्रस्वरूपम् ... १८० ७२० शानद्वारेऽस्य द्वारस्यान्तर्भाव ६९१ तद्भावार्थः ..... ... ... १८० इति कथनम् .... ... .... १८८ २१ ६९२ चारित्रस्यानेकधा विभाग ७२१ तीर्थद्वारविचारः ... ... प्रदर्शनम्.... ... ... ... १८० | ७२२ लिङ्गद्वारविचारः ....... ६९३ सामायिकस्वरूपम् ... ... १८० ७२३ लिङ्गभेदप्रदर्शनम् ........ ६९४ लक्षणपदकृत्यम्... ........१८० २७ ७२४ शरीरद्वारविचार: ... ... '६९५ अस्य गुप्तिभिन्नत्वसमर्थनम १८१ ७२५ क्षेत्रद्वारविचार:: .... १८९ २१ ६९६ इत्वरकालसामायिकस्वरूपम् १८१ ९ | ७२६ जन्मसद्भावशब्दार्थः.... ... ६९७ यावज्जीवकालसामायिक-: ७२७ कर्माकर्मभूमिप्रदर्शनम् ... १९० स्वरूपम् ... ... ... ... १८१ १४ | ७२८ कालद्वारविचारः .... ६९८ छेदोपस्थापनस्वरूपम् ... १८१ ७२९ कालभेदप्रदर्शनम् ... .... १९० ६९९ निरतिचारस्वरूपम् ... ... १८२ ७३० तेषां क्षेत्रप्रदर्शनम् ....... १९० ७०० सातिचारस्वरूपम ....... १८२ | ७३१ तत्तदरकतुल्यकालबरक्षेत्र...... ७०१ परिहारविशुद्धिकस्वरूपम् ... १८२ वर्णनम् .................... १९० २६ ७०२ तपोविशेषप्रतिपादनम् ... १८२ ७३२ परिहारविशुद्धिसंयताश्रयेण-... ७०३ परिहारविशुद्धिकानां क्षेत्र कालविचारः. ... ... ... १९१ ५ कालवर्णनम् ... ....... १८३ ७३३ सूक्ष्मसम्परायपथास्याता......... ७०४ सूक्ष्मसम्परायस्वरूपम् ... १८३ . श्रयेण तद्विचारः : ... . ... १९१ .१४ ७०५ तद्वैविध्यस्वरूपवर्णनम् ... १८४ | ७३४ अपगतवेदयोरनयोस्संहरण...... ७०६ यथाख्यातस्वरूपम्..... ... १८४ समर्थनम्........ ...... १९१ २४ ७०७ एतद्वैविध्यस्वरूपवर्णनम्... १८४ | ७३५ उत्सर्पिण्यादिकालस्वरूपम्... १९२ २ ७०८ षट्त्रिंशद्वारनामानि... ... १८५ ३ ७३६ अवसर्पिण्या प्रथम विभागे ... ७०९ प्रज्ञापनाद्वारविचार:... ... १८५ | हेतुवर्णनम् ..... ... ... १९२ १४ ७१० वेदद्वारविचार:.... ... ... २३ ७३७ परिमाणेन सहारकाणां न्यु-.... ७११ रागद्वारविचारः ... ... । त्पत्तिः .... ........... १९२ १५ ७१२ कल्पद्वारविचारः ..... .... १८६ | ७३८ अरकेषु मनुष्याणां शरीरो७१३ स्थितास्थितकल्पपरिचयः... | छायादिवर्णनम्.......... ७१४ प्रकारान्तरेण कल्पद्वारवि- ... ७३९ गतिद्वारविचारः ........ १९३ चार.................. १८७ . ३७४० देवलोकनामनिर्देशः ....... १९४ १२ ७१५ चारित्रद्धारविचारः ... ... १८७ | ७४१ सौधर्मादिदेवलोकानां स्थि७१६ प्रतिसेवनाद्वारविचारः ... १८७ | तिव्यवस्था .... ....... १९४ ७१७ प्रतिसेवनापदव्युत्पत्तिः ... १८७ २१ | ७४२ कल्पोपपन्नशब्दार्थ......१९५ ७१८ शानद्वारविचार ... ... १८८. ७ | ७४३. विजयादिशब्दतिरुतिः . १९५. ८

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