Book Title: Tattva Nyaya Vibhakar
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Labdhisuri Jain Granthmala

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Page 24
________________ सप्तमः किरणः ] . विस्तरतो विषयानुक्रमः । : १३ - विषयाः पृ. पं. विषयाः ५९४ अत ऊर्ध्वं क्षपकोपशमकयोर्ग- ६१५ केवलिसमुद्धातवर्णनम् ... १६५ १९ :- न्तव्यस्थानस्याभिधानम् ... १६२ १५ ६१६ अत्र कर्मणां बन्धवेदनासत्ता५९५ अत्र कर्मणां बन्धवेदनासत्ता.. संख्यावर्णनम् ... ... ... १६५ .२५ संख्यावर्णनम् ... ... ... १६२ १८ ६१७ चतुर्दशगुणस्थानस्वरूपम् ... १६६ १ ५९६ एकादशगुणस्थानस्वरूपम् १६२ २२ ६१८ शैलेशीशब्दव्युत्पत्तिः ... ... १६६ ५ ५९७ आसंसारमेकस्योपश्रेणिश्च.. ६१९ शैलेशीकमः ... .... ... १६६ ७ तुःकृत्व इति वर्णनम् ... ... १६३ . ७ ६२० अत्र कर्मक्षयप्रदर्शनम् ... ... १६६ १९ ५९८ अत्रागमाभिप्रायप्रदर्शनम्... १६३ १० | ६२१ अत्र कर्मणां बन्धवेदनासत्ता... ५९९ उपशमनेण्यारम्भकाणाम संख्याप्रदर्शनम्... ... ..... १६७ विरतादीनां कथमत्र मिथ्या... ६२२ भेदपूर्वकं समित्यादीनां नि- . त्वादीनामुपशमनेत्यस्य सः रूपणम् ... ... ... ... १६७, १० माधानम्... .... .......... १६३ ११ ६२३ समितिलक्षणं पदकृत्यश्च... १६७ १६ ६०० उपशमक्षयोपशमयोर्विशेष: ६२४ सपदकृत्यमीर्यासमिक्लिक्ष.. प्रदर्शनम्... ... ..........१६३ . णम् ......... ........ १६७ २३ ६०१ तथात्वेऽपि न सम्यक्त्ववि ६२५ भाषासमितेर्लक्षणम् ... ... १६८ २ घात इति वर्णनम् ... ... १६३ १६, ६२६ एषणासमितेर्लक्षणम् ... ... १६८ ६ ६०२ अत्र कर्मणां बन्धवेदनास- ६२७ आदाननिक्षेपणासमितेर्लक्षतासंख्यावर्णनम् ... ... १६३ णम्... ... ..... ... ... १६८ १४ ६०३ द्वादशगुणस्थानस्वरूपम् ... १६४ ६२८ उत्सर्गसमितेर्लक्षणम् ... ... १६८ १९ ६०४ क्षपकणिराभवमेकवारमेवे ६२९ सप्रभेदं गुप्तिस्वरूपम् ... १६८ २५ त्यभिधानम्. .... ... ... १६४ ६३० सपदकृत्यं गुप्तिलक्षणम् ... १६९ ५ ६०५ केवलज्ञानप्राप्तिकथनम् ... १६४ ६ ६३१ कायगुप्तिलक्षणम् . ... ... १६९ १२ ६०६ अत्र कर्मणां बन्धवेदनासत्ता- ... ६३२ तत्र शास्त्रीयनियमप्रदर्शनम् १६९ _संख्याकथनम् ... ... ... १६४ । ६३३ नियमान्तरस्यापि प्रदर्शनम् १६९ ६०७ तत्सद्गणस्थानेषु कर्मप्रक ६३४ वाग्गुप्तिलक्षणं तद्घटकप... तिक्षयप्रदर्शनम् ... ... १६४ दार्थश्च ..... ... ... ... १७० ६०८ प्रयोदशगुणस्थानस्वडपम्... १६४ १६ ६३५ भाषासमित्यतिव्याप्तिप- . . ६०९ सप्रमेदं योगवर्णनम् ... ... १६४ १९ रिहारः ... ... .... ... १७० ६१० केवलिनो योगत्रयस्य फलप्रद. ६३६ मनोगुप्तिस्वरूपम् ", ... १७० र्शनम् ....... ... ... १६५ १ ६३७ परीषहस्वरूपम् ... ... १७० २५ ६११ सयोगिकेवलिनो भेदप्रदर्शनम् १६५ ४६३८ परीषहशब्दव्युत्पत्तिः... ... १७० ३१२ एतद्गुणस्थानकालमानम् १६५ ७ ६३९ सपदकृत्यं तल्लक्षणम्... ... १७१ .२ ६१३ समुदधातवर्णनम ... ... १६५ ११ ६४० नयैः परीषहस्वाभिवर्णनम... १७१ ४ ६१४ तद्भेदाः .... .............. १६५ १४ । ६४१ नयैरेषामुत्पादकद्रव्यवर्णनम् १७१, ८

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