Book Title: Tattva Nyaya Vibhakar
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Labdhisuri Jain Granthmala

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Page 21
________________ : १०: विषयाः ४५९ गुणस्थानानां सामान्येन स्वरूपवर्णनम् १२१ २० १२२ ६ ४६० गुणस्थानस्वरूपम् ४६१ प्रथमगुणस्थान भेदप्रदर्शनम् १२२ १४ ४६२ व्यक्तमिथ्यात्वस्वरूपम् ४६३ तस्याधिकारिकथनम् ... ४६४ मिथ्यादृष्टौ गुणस्थानसम्भववर्णनम् ..... don ४६५ तथापि तस्य मिथ्यादृष्टित्वसमर्थनम् ... ४६६ अव्यक्तमिथ्यात्वस्वरूपम् ४६७ रत्नशेखरसूर्य्यभिप्रायप्रदर्श *** सटीक तस्व न्यायविभाकरस्य पू. पं. ... 188 नम् ... ४६८ स्वाशयवर्णनम् ४६९ मिथ्यात्वस्य चतुर्धा कालविभागं विधाय जीवेषु तत्प्रदर्शनम् ... ४७० अत्र कर्मप्रकृतीनां बन्धो वेदना सत्ता च कियतीनामित्यस्य कथनम् ... ... मताभिधानम् ४७५ उपशमसम्यक्त्व स्वरूपम्. ४७६ तद्भेदवर्णनम् !!! ४७१ द्वितीयगुणस्थानस्वरूम् ४७२ तदर्थवर्णनम् ४७३ ग्रन्थिसमीपगमनतद्भेदौपशमिकसम्यक्त्व लाभादिवर्ण नम्.... ४७४ अत्र कार्मग्रंथिंकमतसिद्धान्त थनम् ४८० अपूर्वकरणस्वरूपम् ४८१ अनिवृत्तिकरणस्वरूपम् ... ... ⠀⠀⠀ ... ... १२२ २२ स्वरूपम् ... १२३ १ | ४८५ कस्य सास्वादन गुणस्थानमि १२३ १० १२३ १८ १२३ ३ १२३ २४ १२३ २७ ⠀⠀⠀ १२४ १ १२४ १२ १२४ १७ १२४ २० विषया: ४८२ अनिवृत्तिकरणनामप्रवृत्तिनिमित्तकथनम् ४८३ अन्तरकरणस्वरूपम् .. ४८४ श्रेणिजन्योपशमसम्यक्त्वस्य १२६ २१ १२६ २४ १२७ ४ ... .... त्यस्योत्तरम् ४८६ सास्वादनस्य गुणस्थानत्वसमथनम् ४८७ अत्र कर्मप्रकृतीनां बन्धवेदनासतानां व्यावर्णनम् ४८८ मिश्रगुणस्थानस्वरूपम् ४८९ भावार्थवर्णनस्... ४९० अत्र नायुषो बन्धो मरणं वेति ... ... ... [ प्रथमभागे ... १२४ २५ १२५ १२ १२५ २३ १२५ २८ १२६ ८ ४७७ करणत्रय स्वरूपम् ४७८ आयुषो वर्जने कारपाप्रदर्शनम् १२६ १६ ५०१ पञ्चमगुणस्थानस्वरूपम् ४७९ यथाप्रवृत्तिकरणाधिकारिक५०२ विरताविरतेर्भङ्गाष्टकप्रदर्श नम् ... ५०३ जघन्यमध्यमोत्कृष्टदेशविरति प्रदर्शनम्... ४९३ चतुर्थगुणस्थानस्त्ररूपम् ४९४ तद्भावार्थकथनम् ४९५ औपशमिकक्षायोपशमिकयो ... 600 www. ... www १२७ ९ १२७ १७ १२९ २० कथनम् ... ४९१ मिश्रगमने मत मेदप्रदर्शनम् १२९ २४ ४९२ अत्र कर्मणां बन्धवेदनासत्ताभिधानम्... ... पृ. पं. १२८ १० ... विशेषप्रदर्शनम् ... १३० २४ ४९६ अस्योत्कृष्टस्थिति समर्थनम् १३१ १ ४९७ सम्यक्त्वोत्पत्ति निदानप्रदर्श नम्.... ४९८ निसर्गसम्यक्त्वादिस्वरूपव र्णनम् १३१ ९ ४९९ सम्यक्त्वलाभकालकथनम् ... १३१ १६ ५०० अत्र कर्मणां बन्धवेदनासत्तानां वर्णनम् १२८ १७ 2 १२९ ५ १२९ १० १२९ १४ १२९ १ 900 १३०. ૨ १३० ८ १३० १४ १३१ ... १३२ ५ w १३१ १९ १३१ २४ १ १३२ १२

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