Book Title: Swarna Sangraha Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal View full book textPage 8
________________ सेवादेवीजी माय, सोरियपुर नगरी का वन्दं, अरिष्टनेमी जिनराज ॥२२॥ अश्वसेन राजा पिता ने, वामादेवीजी माय, बणारसी नगरी का वन्दं पार्व जिनराज ॥२३॥ सिद्धारथ राजा पिता ने. त्रिशला देवीजी माय, कुंडलपुर नगरी का वन्दं, महावीर जिनराज ॥२४॥ केवलचन्दजी पिता ने. हुल ताबाई माय, भोपाल शहर का वन्दं, पूज्य अमोलक ऋषिजी महाराज ॥२५॥ चउदे स्वप्न (तर्ज : दस लक्षण साधु तणो, मारच्या श्री भगवान) दसमा स्वर्ग थकी चवीयाजी, चौवीसमा जिनराज । चउदे सपना देखियाजी, त्रिशला दे ज्यांरी मांय ॥ ___जिनंद माय, दीठाओ सपना सार ॥१॥ पहले गयवर देखियाजी, सुंडा--दण्ड, प्रचण्ड । दूजे ऋषभ देखियाजी, घोला धवरी सांडोजिनंद।।२।। तीजे सिंह सुलक्ष्णाजी, मुखK करे रे बगास । चौथे लक्ष्मी देवताजी, कर रह्या लील विलाल जि. ३॥ पंत वरण फलां तणीजी, मोटी देखी फूल माल । छठे चन्द्र उजासियाजी, अमिय झरे आकाश जि. ४।। दिनकर ऊग्यो तेजसूजी, किरणा झाक झमाल । फरकती देखी ध्वजाजी, ऊँची अति असराल जि.५।।Page Navigation
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