Book Title: Sumanimuniji ki Sahitya Sadhna Author(s): Dulichand Jain Publisher: Z_Sumanmuni_Padmamaharshi_Granth_012027.pdf View full book textPage 5
________________ सुमन साहित्य : एक अवलोकन श्रीशुक्लचंद्रजी महाराज की यादगार में उनकी जीवनी "शुक्ल-स्मृति" के नाम से प्रकाशित हुई। आपका सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रन्थ "पंजाब श्रमण संघ गौरव" के नाम से सन् १९७० में प्रकाशित हुआ जिसमें आचार्य श्रीअमरसिंहजी महाराज की गौरव गाथा, पंजाब श्रमणसंघ परंपरा का इतिहास व विशिष्ट संतों का परिचय सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त आपने वैराग्य इक्कीसी आदि कतिपय लघु पुस्तकों का भी संपादन किया। सन् १९८८ में बोलारम चातुर्मास में महान् तत्वज्ञ श्रावक श्रीमद् रायचंद्र मेहता रचित “आत्मसिद्धि शास्त्र" पर आपके बहुत ही वोधपूर्ण प्रवचन हुए जिन्हें सुनकर श्रोता अत्यधिक प्रभावित हुए। ये प्रवचन "शुक्ल-प्रवचन" के नाम से चार भागों में प्रकाशित हुए। इनका प्रथम भाग के.जी.एफ. में सन् १६६१ में, द्वितीय भाग वानियम्वाडी में सन् १६६२ में एवं तृतीय व चतुर्थ भाग चेन्नई टी.नगर में सन् १६६३ में प्रकाशित हुआ। आपने उत्तराध्ययन सत्र के अति महत्वपूर्ण २६वें अध्ययन "सम्यक्त्व-पराक्रम" पर बहुत ही वृहद् अत्यन्त मार्मिक प्रवचन दिये। इन्हें टेप करके रख लिया था। अब ये लगभग ६०० पृष्ठों में टाइप हो गए हैं तथा ४-५ छोटीछोटी पुस्तकों में शीघ्र प्रकाश्यमान है। साहित्य का निःशुल्क प्रचार - ___आप द्वारा रचित सम्पूर्ण साहित्य भगवान् महावीर स्वाध्याय पीठ' से स्वाध्यायार्थ निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है। सृजनशील साहित्यकार - जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि पंडित प्रवर श्री सुमनमुनि जी ने अनेक ग्रन्थों की रचनाएं की हैं, जिनमें से कतिपय ग्रन्थों ने काफी लोकप्रियता प्राप्त की - १. शुक्ल प्रवचन भाग १ से ४ २. पंजाब श्रमण संघ गौरव (आचार्य अमरसिंहजी महाराज) ३. अनोखा तपस्वी (श्रीगेंडेरायजी महाराज) ४. वृहदालोयणा (विवेचन) ५. देवाधिदेव रचना (विवेचन) ६. तत्व-चिंतामणि भाग १ से ३ ७. श्रावक कर्त्तव्य (विवेचन) ८. शुक्ल ज्यात ६. शुक्ल-स्मृति १०. सम्यकत्व-पराक्रम (शीघ्र प्रकाश्य) इसके अतिरिक्त आपने स्वाध्यायी भाई-बहनों के लाभार्थ सामायिक, प्रतिक्रमण, गीत-संग्रह आदि पुस्तकें हिन्दी व अंग्रेजी में प्रकाशित की है। आपकी प्रमुख कृतियों का संक्षिप्त परिचय आगे के पृष्ठों में दिया जा रहा शुक्ल प्रवचन : भाग १ से ४ प्रज्ञाशील संत श्री सुमनमुनि जी महाराज की सर्वोच्च की एक छोटी सी किताब है जिसमें मात्र १४२ दोहे हैं। कृति है - "शुक्ल-प्रवचन" | यह महान् तत्त्वज्ञानी श्रावक यह एक गेय ग्रन्थ है तथा जैन विद्या के जिज्ञासुओं का श्रीमद् रायचन्द्रभाई मेहता प्रणीत “आत्म-सिद्धि-शास्त्र" हृदयहार है। छोटा सा ग्रन्थ होते हुए भी यह ज्ञान का का विशद् विवेचन है। “आत्मसिद्धि-शास्त्र" १४ पृष्ठों अद्भुत खजाना है तथा श्रावक-श्राविकाओं में ही नहीं, ४६, बर्किट रोड, टी.नगर, चेनई ६०० ०१७ | श्री सुमनमुनि जी की साहित्य साधना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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