Book Title: Sthanang Sutram Part 01
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीस्थानाङ्गं श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-१ क्रमः // 7 // 181 क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः / क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः 3.2.7 सस्थावरत्रैविध्यम् / 164 239 च्यवनलक्षणोद्वेगहेतवः, विमानानां 3.2.8 अच्छेद्याद्याः 8 समयाद्याः, संस्थानानि आधारो भेदाच, स्वयंप्रश्नेन दुःखभयादि-दर्शनम् / 165-166 239-240/ (भोगाय वैक्रियविमानम्)। 178-180 257-258 3.2.9 अकृतदुःखादिखण्डनम् / / 167 241-242 | 3.3.8 नारकादित्रैविध्यम्, दुर्गति|३.३ तृतीयाध्ययने तृतीयोद्देशकः 168-190 244-279 सुगति- दुर्गत- सुगताः। अपराधानालोचना 3.3.9 उत्स्वेदिमादिपानीय 9- उपहृतोद्वृहीताऽऽलोचनाफलम्। 168 244-245 ऽवमोदरिका-ऽहितहितचेष्टाशल्यतेजोलेश्या३.३.२ सूत्रार्थोभयधराः पुरुषाः, धार्ये हेतु-त्रिमासिकीदत्त्येकरात्र्यननुपालनवस्त्रपात्रे, वस्त्रधारणकारणानि, पालनफलानि, (प्रतिमास्वरूपम्)। 182 आत्मरक्षाहेतवः, विकटदत्तयश्च / 169-172 246 3.3.10 कर्मभूमयः, दर्शनरुचिप्रयोगाः, 3.3.3 विसंभोगकारणानि, आचार्यत्वा व्यवसायाः 21, अर्थयोनयः। 183-185 268-269 द्यनुज्ञासमनुज्ञोपसंपद्-विहानानि |3.3.11 प्रयोग- मिश्र- विश्रसापुद्गला:, (आचार्यादिलक्षणानि)। 173-174 248 नरकप्रतिष्ठानम्, नयविचारश्च 3.3.4 वचनावचनमनोऽमनांसि (नयस्वरूपम्। 186 271 (तद्वचनादि)। 251 3.3.12 मिथ्यात्वा- क्रिया- प्रयोगअल्प- महावृष्टिहेतवः। 176 252 समुदानाऽज्ञानक्रिया- ऽविनयादेवागमानागमहेतवः ज्ज्ञानानां त्रैविध्यम् / 187 273 (प्रवादिलक्षणम्)। 177 253-254 3.3.13 धर्मोपक्रम- वैयावृत्त्या-ऽनुग्रहानु.७ देवानां स्पृहणीय- परिताप्ये, शास्त्युपालम्भानां त्रैविध्यम् / 275 175 // 7 // 188
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