Book Title: Sramana 2013 10
Author(s): Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ 34 : श्रमण, वर्ष ६४, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर २०१३ भाषा, विभाषा, वार्तिक। सामायिक शब्द के पर्याय-सामायिक सम्यवाद, समाज संदोप प्रत्याख्यान। दशवकालिक निर्यक्ति में श्रमण शब्द के २० पर्यायवाची, साधु शब्द के २८ पर्यायवाची, वृक्ष शब्द के १२ एकार्थक और पुष्प शब्द के छ: एकार्थक बताये गये हैं। उत्तराध्यययननियुक्ति में आय, अंग,संयम, आदि शब्दो के ३ से लेकर ८ एकार्थक बताये गये हैं। ४. आचारांग नियुक्ति में आचार, अवधूनन, जिनशासन आदि शब्दो के ८ से १५ एकार्थक शब्द दिये गये हैं। जैन आगम के व्याख्य साहित्य में नियुक्ति के बाद भाष्य का स्थान आता है। भाष्य में भी एकार्थक शब्दो को देखा जा सकता है जैसे व्यवहार भाष्य में। भाष्य के बाद जैन आगमों के व्याख्या साहित्य में चूर्णियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अनेक आगमों पर चूर्णियाँ लिखी गयी है। इनका रचनाकाल विक्रम की पांचवीं शताब्दी है। जिनदास गणि महत्तर चूर्णिकारों में अग्रणी हैं। इन चूर्णियों में अनेक शब्दों के पर्याय-नाम उल्लिखित है१. मग्गातोत्ति वा पिट्ठउत्ति वा (आवश्यकचूर्णि, पूर्वभाग, पृ० ५६) माणंति वा परिच्छेदोत्ति वा गहणपगाोत्ति वा एगट्ठा (आवश्यकचूर्णि पूर्वभाग पृ० ३७६) अभिप्यायोत्ति वा बुद्धित्तिवा एगटुं। (आवश्यकचूर्णि, पूर्वभाग, पृ० ५४३) खमत्ति वा तितिक्खत्ति वा को हनिरोहति वा । (आवश्यकचूर्णि, उत्तरभाग, पृ० ११६)

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110