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संस्कृत एवं अन्य भाषाओं के जैन कोशों का अध्ययन :41 ४०० दिगम्बर एवं श्वेताम्बर ग्रंथों के पारिभाषिक शब्दों का संकलन है। यह कोश तीन भागों में भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हुआ है। इसके प्रकाशन का वर्ष १९७२-१९७६ के मध्य का है। वर्धमान जीवन कोश - इस कोश के सम्पादक मोहनलाल बांठिया है। इस कोश में जैन आगम साहित्य और जैन आगमेतर साहित्य का अध्ययन कर भगवान महावीर (वर्धमान) के जीवन से सम्बन्धित यथाशक्ति सभी प्रसंगों का संकलन करने का प्रयास किया गया है। नानार्थोदय सागर कोश - इस कोश के सम्पादक घासीलाल जी म० सा० हैं। इस कोश में २२९४ श्लोक है। इस कोश में शब्दों के एकाधिक अर्थों को दिखाने के लिए समानार्थी शब्दों का संग्रह किया गया है। प्राकृत हिन्दी कोश - इस कोश के सम्पादक प्राकृत विद्या के मर्धन्य विद्वान् डा० के० आर० चन्द्रा है। इसका प्रकाशन १९८७ में पाश्वर्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी से हुआ है। यह कोश ग्रंथों के अवतरण आदि से रहित होने के कारण अनावश्यक भार से मुक्त है। प्राकृत भाषा के प्राथमिक विद्यार्थी के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसमें अकारादि क्रम से शब्दों को सजाया गया है। एकार्थक कोश - इस कोश की सम्पादिका समणी कुसुम प्रज्ञा हैं। यह कोश १९८४ ई० में जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं से प्रकाशित हुआ। इसकी पृष्ठ संख्या ३९६ है। यह कोश गद्यपध मिश्रित है। इसमें १७०० एकार्थक शब्दों का संकलन है। प्रत्येक एकार्थक का अर्थ निर्देश और प्रमाण दिया गया है। भिक्षु आगम विषय कोश - इस कोश की सम्पादिका साध्वी विमल प्रज्ञा है। यह कोश जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं से प्रकाशित हुआ है। भिक्षु आगम विषय में १७८ मुख्य विषयों