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40 : श्रमण, वर्ष ६४, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर २०१३
तद्भव और देशी। इसके सम्पादक आचार्य महाप्रज्ञ हैं। इसका
प्रकाशन वर्ष १९८७ ई०। यह सन्दर्भ कोश है। १०. जिनरत्नकोश - इसके संकलन कर्ता एच० डी० वेलणकर जी
हैं। यह कोश अति महत्त्वपूर्ण ५३ ज्ञान भण्डारों के आधार पर अकारादि क्रम से संग्रहीत जैन ग्रन्थों की सूची है। इसमें जितने भी ग्रंथ है उन सभी की पाण्डुलिपियों का स्थान निर्देश दिया
गया है। चतुर्थ अध्याय : हिन्दी भाषा के जैन कोश एवं कोशकार - १. लेश्याकोश - यह श्वेताम्बर वाड्मय पर आधारित विषय
कोश है। इसके सम्पादक श्री मोहन लाल बांठिया है। यह कोश १९६६ में कलकत्ता से प्रकाशित हुआ है। इस कोश में जैन विषय को सर्वविदित दशमलव वर्गीकरण के आधार पर १०० वर्गों में विभक्त किया गया है। क्रियाकोश - यह विषय कोश है। इसका प्रकाशन १९६९ ई० में जैन दर्शन समिति, कलकत्ता से किया गया है। इसके सम्पादक मोहन लाल बांठिया है। इसका निर्माण भी दशमलव वर्गीकरण के आधार पर किया गया है। जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश - यह विषय कोश है। इसमें लगभग ६००० शब्दों तथा २१०० विषयों का वर्णन है। इसके प्रणेता क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी है। यह कोश २० वर्षों के सतत् अध्ययन के परिणाम स्वरूप बना है। इसमें तत्त्वज्ञान, आचारशास्त्र, कर्मसिद्धान्त पौराणिक, विषय, आगम, दार्शनिक, सम्प्रदाय आदि का ससन्दर्भ प्रामाणिक विवेचन है। इस कोश को विश्वकोश का दर्जा दिया जाता है।
जैन लक्षणावली - इस कोश के सम्पादक श्री बालचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री है। यह एक जैन परिभाषिक कोश है। इसमें