Book Title: Sramana 2012 07
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 79
________________ 70 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 3 / जुलाई-सितम्बर 2012 इस कार्यशाला में दिये गए व्याख्यान विद्वानों के नाम और विषय सहित इस प्रकार हैं - प0 पू0 प्रशमरति विजयजी महाराज जी (वाराणसी) -जैन श्रावकों के कर्तव्य, जैन साहित्यकारों का 20वीं सदी में संस्कृत एवं प्राकृत साहित्य में योगदान एवं जैन पर्व एवं त्योहार, डॉ० शुगन चन्द जैन (नई दिल्ली)-जैन साहित्य, महावीर कालीन इतिहास, महावीरोत्तरकालीन इतिहास एवं जैन श्रावकाचार, प्रो0 अरविन्द कुमार राय (वाराणसी) -भारतीय संस्कृति एवं दर्शन की विशेषताएँ, प्रो0 मारुति नन्दन तिवारी (वाराणसी)- जैन कला एवं जैन प्रतिमा विज्ञान, डॉ0 अशोक कुमार जैन (वाराणसी)-जैन दर्शन में अनेकान्तवाद, जैन धर्म में गुणस्थान सिद्धान्त की अवधारणा एवं श्रमणाचार, प्रो० हरिहर सिंह (वाराणसी)-जैन स्थापत्य एवं गुफाएँ, प्रो0 प्रभुनाथ द्विवेदी (वाराणसी)-प्रमुख जैन कथा एवं काव्य सहित्य, डॉ अशोक कुमार सिंह (वाराणसी) -जैनागम साहित्य, जैन धर्म और धार्मिक सहिष्णुता एवं जैन दार्शनिक साहित्य का अवदान, डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय (वाराणसी)-जैन योग, कर्म सिद्धान्त, लेश्या सिद्धान्त तथा स्याद्वाद एवं सप्तभंगी नय, प्रो० सीताराम दूबे (वाराणसी)-श्रमण संस्कृति, प्रो0 महेश्वरी प्रसाद (वाराणसी) -जैन अभिलेख, प्रो० सुदर्शन लाल जैन (वाराणसी) -तप की अवधारणा एवं संल्लेखना की अवधारणा, डॉ0 झिनकू यादव (वाराणसी) -जैन सम्प्रदाय, डॉ० अरुण प्रताप सिंह (वाराणसी) -जैन कुलकर एवं तीर्थकर परम्परा, डॉ० सुमन जैन (वाराणसी)- पाण्डुलिपियों का सामान्य परिचय, डॉ जयन्त उपाध्याय (वाराणसी)-भारतीय दर्शन में ज्ञान की अवधारणा एवं प्रामाण्यवाद, डॉ० नवीन कुमार श्रीवास्तव (वाराणसी) -जैन ज्ञानमीमांसा, जैन दर्शन में आत्मा की अवधारणा एवं अहिंसा विचार, डॉ० राहुल कुमार सिंह (वाराणसी) -जैन सप्त तत्त्व एवं नव तत्त्व की अवधारणा, जैन प्रमाणमीमांसा एवं जैन द्रव्य विचार तथा श्री ओम प्रकाश सिंह (वाराणसी) -जैन कोश साहित्य। इस कार्यशाला में 31 छात्र-छात्राओं ने जैन धर्म-दर्शन के विभिन्न विषयों पर पत्रों का वाचन किया तथा कार्यशाला के अंतिम दिन संस्था द्वारा आयोजित प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। इस प्रश्नोत्तरी में कुल 7 टीमों ने भाग लिया। प्रश्नोत्तरी अत्यन्त रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक थी। परिणाम के रूप में तीन टीमों को कमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विजेताओं के रूप में घोषित किया गया।

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